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उत्तराखंड में शिक्षकों की ट्रांसफर नीति में बड़ा बदलाव

उत्तराखंड में अब शिक्षकों के तबादले केवल वरिष्ठता या सुविधा के आधार पर नहीं, बल्कि परफॉर्मेंस यानी उनके प्रदर्शन पर तय होंगे।

शिक्षा विभाग ने एक नई तबादला नियमावली तैयार कर ली है, जिसमें साफ किया गया है कि यदि कोई शिक्षक लगातार दो साल बोर्ड परीक्षाओं (10वीं या 12वीं) में खराब रिजल्ट देता है, तो उसे अनिवार्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती दी जाएगी।

अब ट्रांसफर ऑनलाइन और अंकों के आधार पर

नए नियम के अनुसार, राज्य को मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में बांटा गया है। हर क्षेत्र में की गई सेवा के लिए गुणांक (अंक) मिलेंगे और इन्हीं अंकों के आधार पर तबादले की पात्रता बनेगी।

यह पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के ज़रिए की जाएगी। तबादलों की शुरुआत हर साल 1 जनवरी से होगी और 31 मार्च तक आदेश जारी किए जाएंगे।

मैदानी-पर्वतीय जिलों का बंटवारा

चार जिले — पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली और बागेश्वर को उच्च पर्वतीय क्षेत्र माना गया है। जबकि टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत, पौड़ी, नैनीताल और देहरादून के कुछ हिस्सों को निम्न पर्वतीय क्षेत्र में शामिल किया गया है।

शिक्षक को मैदानी या पर्वतीय किसी भी क्षेत्र में कम से कम 5 साल की सेवा देना अनिवार्य होगा।

महिलाओं और अन्य शिक्षकों को भी मिलेगी सुविधा

इस नियमावली में अविवाहित महिला शिक्षक को विवाह के बाद पति के कार्यस्थल या गृह ज़िले में एक बार तबादले की छूट दी जाएगी। साथ ही, शिक्षकों को पूरे करियर में एक बार संवर्ग परिवर्तन का अवसर मिलेगा, बशर्ते उन्होंने उस संवर्ग में कम से कम 3 साल की सेवा की हो।

कैबिनेट से मंजूरी बाकी

शिक्षा विभाग के अनुसार, नियमावली का एक बार प्रस्तुतिकरण कैबिनेट में हो चुका है। अब कुछ संशोधनों के बाद इसे मंजूरी के लिए फिर से पेश किया जाएगा। मंजूरी के बाद यह नियमावली पूरे राज्य में लागू हो जाएगी।

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