- बिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA की सुनामी, महागठबंधन बुरी तरह पीछे, मैथिली ठाकुर ने तोड़ा रिकॉर्ड
- 240 सीटों वाली विधानसभा में NDA ने 202 सीटें हासिल की, महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमटा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम पूरी तरह अप्रत्याशित रहे। 240 सीटों वाली बिहार विधानसभा में NDA ने 202 सीटें जीतकर चुनाव में दबदबा कायम किया, जबकि महागठबंधन केवल 35 सीटों पर सिमट गया।
इस चुनाव में कई बड़े नाम जैसे भोजपुरी फिल्म स्टार खेसारी लाल यादव हार गए, वहीं युवा चेहरा और लोक गायिका मैथिली ठाकुर समेत चार उम्मीदवारों ने रिकॉर्ड बना दिया।
पॉलिटिकल विशेषज्ञों का मानना है कि NDA की जीत के पीछे पांच प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों का असर रहा, वहीं महागठबंधन की हार के कई राजनीतिक और संगठनात्मक कारण सामने आए।
बिहार चुनाव 2025 के रिकॉर्ड
- सबसे बड़ी जीत: रुपौली से JDU के कलाधर मंडल ने 73,572 मतों से बीमा भारती को हराया।
- सबसे छोटी जीत: आरा जिले के संदेश में JDU प्रत्याशी राधाचरण साह ने मात्र 27 मतों से जीत हासिल की।
- सबसे कम उम्र की विधायक: अलीनगर से जीतने वाली मैथिली ठाकुर, 25 वर्ष की आयु में।
- सबसे उम्रदराज विधायक: JDU के हरिनारायण सिंह और बिजेंद्र यादव, उम्र 79 वर्ष।
चर्चित चेहरों की जीत
- उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी: तारापुर में RJD के अरुण कुमार को 45,843 मतों से हराया।
- तेजस्वी यादव: राघोपुर से भाजपा के सतीश कुमार को 14,532 मतों से पराजित किया।
- स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय: पूर्व विस अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को 9,370 मतों से हराया।
- मंत्री विजय कुमार चौधरी: सरायरंजन में RJD को हराकर फिर से जीत दर्ज की।
चौंकाने वाली हार
- निर्दलीय जीतकर मंत्री बने सुमित कुमार सिंह चकाई सीट से हारे।
- कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम अपनी कुटुंबा सीट बचाने में असफल रहे।
- भोजपुरी फिल्म स्टार खेसारी लाल यादव छपरा सीट से भाजपा प्रत्याशी से हार गए।
- RJD से निष्कासित तेज प्रताप यादव महुआ से तीसरे स्थान पर रहे।
NDA की जीत के कारण
विश्लेषकों ने पांच मुख्य कारण बताए:
- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना: महिलाओं के बीच सकारात्मक धारणा।
- वृद्धजन पेंशन योजना: राशि 400 से बढ़ाकर 1,100 रुपये।
- मुफ्त बिजली योजना: घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार: तेजस्वी के प्रति कट्टा वाले आडियो-वीडियो का प्रभाव।
- नीतीश कुमार के सुशासन और विकास एजेंडे पर भरोसा।
महागठबंधन की हार के कारण
- नेतृत्व और समन्वय की कमी।
- जातीय और सामाजिक समीकरणों में चूक।
- महिलाओं, युवाओं और गैर-परंपरागत जातीय समूहों में पकड़ कमजोर।
- कांग्रेस का बोझ और टिकट वितरण में नाराजगी।
- चुनावी एजेंडा अस्पष्ट, स्थानीय संगठन निष्क्रिय।









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