जगमोहन रौतेला
लगभग 6 साल बाद हल्द्वानी में एक बार फिर से किताबों का मेला लगा। दो दिन तक गत 16 और 17 मार्च 2024 को किताबों का यह मेला “किताब कौतिक” के नाम से हल्द्वानी के एचएन इंटर काॅलेज में हुआ. इससे 2018 में एनबीटी से हल्द्वानी के रामलीला मैदान में एक हफ्ते का पुस्तक मेला लगाया था। यह किताब कौतिक पिछले लगभग डेढ़ साल से उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के शहर-दर-शहर घूम रहा है और किताब पढ़ने वाले पाठकों को उनके घर के आसपास ही हर विषय और हर विधा की सैंकड़ों किताबें उपलब्ध करवा रहा है।
दिसंबर 2022 में टनकपुर से शुरू हुआ यह सिलसिला चम्पावत, बैजनाथ, पिथौरागढ़, द्वाराहाट, भीमताल, सितारगंज होते हुए अब हल्द्वानी पहुंचा। हल्द्वानी में किताब कौतिक को पहले गत 9, 10 और 11 फरवरी को संपन्न होना था। पर 8 फरवरी को हल्द्वानी के एक हिस्से में हुई हिंसा की घटना के बाद इस आयोजन को स्थगित करना पड़ा था, हालांकि किताब कौतिक की पूरी तैयारी हो चुकी थी।
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उसके बाद किताब कौतिक का आयोजन शहर दर शहर करने वाले उत्तराखण्ड क्रिएटिव, और कुमाऊँनी आर्काइव से जुड़े हेम पंत, दयाल पांडे, रिस्की पाठक, नरेंद्र बंगारी आदि ने आयोजन को फिर से करने के लिए कमर कसी और 16 -17 मार्च को आयोजन की घोषणा की।
पहले दिन 16 मार्च को शुभारम्भ के मौके पर कुमाउनी की प्रसिद्ध लोकगायिका बीना तिवारी, डाॅ. प्रयाग जोशी, डाॅ. तारा दत्त त्रिपाठी, गजेंद्र पांगती, भगवान सिंह सामन्त, डॉ. दिवा भट्ट आदि उपस्थित रहे।
आयोजक हेम पंत और दयाल पांडे ने बताया कि पहले दिन 75 प्रकाशकों की लगभग 80,000 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध रही। साहित्य प्रेमियों ने बाल साहित्य, विश्व साहित्य, आध्यात्मिक और उत्तराखंड पर केंद्रित किताबों की अच्छी खरीदारी की। कार्यक्रम के दौरान कुसुम पांडे ने वाॅल पेंटिंग की कार्यशाला और शिवालिक टीम द्वारा विज्ञान कार्यशाला करवाई गई। किताबों के अतिरिक्त पहाड़ के जैविक उत्पाद, ड्रोन और अन्य कई आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। पहाड़ के हस्तशिल्प और खगोल विज्ञान के स्टॉल आकर्षण का केंद्र बने रहे। हल्द्वानी के इतिहास, फिल्म मेकिंग और पहाड़ी होली के विविध स्वरुपों पर सत्र भी आयोजित हुए। “क्रिएटिव उत्तराखंड- कुमाउनी आर्काइव” टीम द्वारा कुमाऊँ के सभी जिलों में सफल आयोजन के बाद अब हल्द्वानी में पहली बार ‘किताब कौतिक’ किया गया। इससे पहले किताब कौतिक के आयोजन टनकपुर, बैजनाथ, चम्पावत, पिथौरागढ़, द्वाराहाट, भीमताल और नानकमत्ता में किए जा चुके हैं।
दो दिन के किताब कौतिक का रविवार 17 मार्च को समापन हुआ। समापन के दिन के किताब कौतिक का उद्घाटन कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने किया। लोगों को सम्बोधित करते हुए प्रो. रावत ने कहा कि यह समय शिक्षा की बेहतरी का समय है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हमारा प्रयास है कि वर्तमान समय के अनुसार कुछ नए पाठ्यक्रम खोले जाय। इस ओर तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है और प्रदेश सरकार का सहयोग भी पूरी तरह से मिल रहा है। उन्होंने कहा कि नई टेक्नोलाॅजी नई पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में भी ले रही है तो उससे उन्हें बेहतरीन लाभ भी मिल रहा है। युवा पीढ़ी को बस इतना ध्यान देना है कि वे टैक्नालाॅजी के गुलाम न बनें, बल्कि उसे अपने नियंत्रण में रखें। ऐसा करने पर वे अपने भविष्य को और बेहतर बना सकते हैं।
इससे पहले 17 मार्च को सवेरे 6 बजे से नैचर वॉक का कार्यक्रम एफटीआई में हुआ। जिसमें लगभग सौ लोगों ने नैचर वॉक के तहत एफटीआई में मौजूद विभिन्न तरह के पेड़-पौधों, जड़ी -बूँटियों और वहॉ विचर रहे कई तरह की पक्षियों के बारे में जाना। जड़ी-बूँटियों के बारे डॉ. बीएस कालाकोटी, पेड़-पौधों के बारे में वनाधिकारी मदन बिष्ट और पक्षियों के बारे में बर्ड वाचर राजेश भट्ट ने जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में सभी को कासनी के पौधे वनाधिकारी मदन सिंह बिष्ट की ओर से भेंट किए गए।
समापन के दिन पहले सत्र का आरम्भ दस बजे से हुआ। किताब कौतिक के साथ ही विभिन्न विषयों पर आयोजित परिचर्चा में पहले सत्र में ”उत्तराखंड में खेलों की सम्भावनाएँ“ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें प्रसिद्ध खिलाड़ियों भास्कर भट्ट और हरीश पान्डे ने अपने विचार रखे और संचालन दीप्ति भट्ट ने किया। भट्ट और पान्डे ने कहा कि खेलों में अब कैरियर बनाया जा सकता है, पहले वाली स्थितियॉ तेजी के साथ बदल रही हैं। खेलों में अब पैसा और नाम दोनों मिल रहे हैं। इसके लिए माता-पिता को आगे आना होगा और बच्चों के अन्दर खेल की किसी भी तरह की प्रतिभा है तो उसे आगे बढ़ने का मौका देना होगा।
इसके अलावा ‘उत्तराखंड का संगीत उद्योग: विस्तार और चुनौतियां’ विषय पर प्रसिद्ध कुमाउनी गायक गायक प्रह्लाद मेहरा, चांदनी इंटरप्राइजेज के निदेशक नरेंद्र टोलिया ने अपने विचार रखे और संचालन युवा कलाकार नितेश बिष्ट ने किया। “व्यंग्य विधा: साहित्य से ‘मीम’ तक” विषय पर परिचर्चा में साहित्यकार डाॅ. दिवा भट्ट, एंकर और व्यंग्यकार नीरज बधवार, लेखक और कवि विनोद पंत ने भागीदारी की।
“हमारा रंगमंच: इतिहास, वर्तमान और संभावनाएं” विषय पर रंगकर्मी और फिल्म निर्माता मनोज चंदोला, संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित भूपेश जोशी, कुमार कैलाश, वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी ने, “हमारी शिक्षा में क्या नया होना चाहिए?” विषय पर श्रीमती रजनी कांता बिष्ट, अरुण कुकसाल, श्रीमती बीना फुलेरा, “लेखकों से बातचीत” में डॉ. हयात सिंह रावत , विष्णु शर्मा, मुकेश नोटियाल, नीरज नैथानी, तनूजा जोशी आदि ने अपने विचार रखे।
17 मार्च को किताब कौतिक के आखिरी दिन विभिन्न लेखकों, कवियों की लिखी एक दर्जन से अधिक पुस्तकों का लोकार्पण भी वरिष्ठ कथाकारों, लेखकों, पत्रकार और रंगकर्मियों द्वारा किया गया। किताब कौथिग के आखिरी दिन किताब प्रेमी बड़ी संख्या में अपने परिवार के साथ एचएन इंटर कॉलेज के मैदान पहुँचे और उन्होंने विभिन्न विषयों पर अपनी पसन्द की किताबों को खरीदा।
इस दौरान किताब कौतिक आयोजन समिति के हेम पंत, दयाल पान्डे, नरेन्द्र बंगारी, रिक्सी पाठक, वरिष्ठ फिल्म समीक्षक दीप भट्ट, जगमोहन रौतेला, मंजू पान्डे उदिता, डॉ. सरस्वती कोहली, हरीश पंत, सतीश जोशी, उदय किरौला, हर्षिता रौतेला, जगदीश जोशी, डॉ. प्रभा पंत, उमेश तिवारी विश्वास, प्रभात उप्रेती, डॉ. अनिल कार्की, दीपू सकलानी, पूरन बिष्ट, महेंद्र ठकुराठी, डॉ. पंकज उप्रेती, डॉ. एलएम उप्रेती, दीया आर्या, पीसी तिवारी, सुनील रौतेला, बच्ची सिंह बिष्ट, हयात सिंह ज्याला, डॉ. खेमकरण सोमन, डॉ. शैलेन्द्र धपोला, दामोदर जोशी देवांशु, प्रवीण भट्ट, डॉ. गजेन्द्र बटोही, मंजू रौतेला साह, अमृता पान्डे, डॉ.दीपा काण्डपाल, राजेन्द्र जोशी, दीपक नौगाईं, पुष्कर सिंह खाती, मुकेश कोहली, पंकज पान्डे आदि कई लोग मौजूद रहे. ’’’