गैरसैण: बाल लेखन कार्यशाला का शुभारंभ, हर बच्चा तैयार करेगा अपनी हस्तलिखित पुस्तक

  • मुख्य अतिथि अध्यक्ष नगर पंचायत मोहन भंडारी ने किया संबोधन
  • बच्चों ने सीखी लेखन की बारीकियां

अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी, नगर पंचायत गैरसैण और किताब कौथिग अभियान के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय इंटर कॉलेज, गैरसैण में बच्चों की 5 दिवसीय अभिव्यक्ति कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अध्यक्ष नगर पंचायत मोहन भंडारी ने कहा मोबाइल संस्कृति के आज के दौर में बच्चे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं।

एक जागरूक शिक्षक, साहित्यकार व अभिभावक बतौर हम बड़े लोगों को सबसे पहले पठन-पाठन की आदत विकसित करनी होगी।

कार्यशाला संयोजक पूर्व प्रधानाचार्य बी.एस. बुटोला ने कहा कि बच्चे बहुत कुछ जानते हैं। उनकी प्रतिभा निखारने तथा उन्हें मौखिक तथा लिखित अभिव्यक्ति का अवसर देने के लिए गैर शैक्षणिक गतिविधियां मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।

मुख्य प्रशिक्षक और बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने कहा कि बालप्रहरी द्वारा अभी तक भारत के 16 राज्यों में 314 पांच दिवसीय कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं।

उन्होंने कहा कि 5 दिवसीय कार्यशाला में बच्चों को मौखिक व लिखित अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित किया जाना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। कार्यशाला में बाल कवि सम्मेलन तथा नुक्कड़ नाटक आदि विधाओं से बच्चों को जोड़ा जाएगा।

किताब कौथिग अभियान से जुड़े क्रिएटिव उत्तराखंड के हेम पंत ने सभी का स्वागत करते कहा कि उत्तराखंड में जन सहयोग से 12 किताब कौथिग हो चुके हैं।

गैरसैण में अगला किताब कौथिग 4,5 और 6 अप्रैल को मुख्य मैदान में होगा। उन्होंने कहा कि बाल लेखन कार्यशाला भी किताब कौथिग का ही एक भाग है।

किताब कौथिग में जहां देश-विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की पुस्तकें होंगी वहीं कार्यशाला में गैरसैण के विभिन्न स्कूलों के बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी।

हमारे आंतरिक मन के विचार ही कविता : वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश चंद्र पांडे

कार्यशाला के पहले दिन बच्चों को कविता की जानकारी देते हुए हरिद्वार के वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश चंद्र पांडे ने कहा कि हमारे आंतरिक मन के विचार ही कविता हैं। उन्होंने कहा कि हमें कविता व कहानी लिखने से पहले हमें अपने पाठ्य पुस्तक व दूसरे लेखकों कीकविताओं व कहानियांं को पढ़ना भी जरूरी है।

कविता सत्र में पहले बच्चों ने अपने पाठ्य पुस्तक की कविताएं सुनाई। उसके बाद बच्चों ने पूछा गया कि इन्हें कविता क्यों कहा जाता है। बच्चों ने अपनी भाषा में बताया कि कविता में तुक, लय, भाव तथा शीर्षक आदि का होना अनिवार्य है।

पहले दिन अध्यक्ष मंडल में रुद्र और श्रेयांश को शामिल किया गया। आज संपन्न नाम लेखन प्रतियोगिता, शब्द लेखन प्रतियोगिता, गिनती लिखो प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता में कृष्णा, सक्षम, अंशुल, अभिनव देवली आदि बच्चों को पुरस्कार में बालसाहित्य दिया गया। बच्चों ने तोता कहता है, जैसा मैं कहूं आदि खेलों में खूब मस्ती की।

इस अवसर पर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री कलम सिंह कठैत, कला शिक्षक श्री विजय मोहन हिंदवाल आदि शहर के कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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