दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए क्लाउड सीडिंग का ट्रायल लगातार तीसरे दिन जारी रहेगा। तीन प्रयासों के बावजूद अभी तक राजधानी की धरती पर एक बूंद बारिश नहीं हुई है।
दिलचस्प बात यह है कि यह पूरा ऑपरेशन मेरठ से संचालित हो रहा है, न कि दिल्ली से।
दरअसल, दिल्ली का हवाई क्षेत्र पहले से ही भारी एयर ट्रैफिक में व्यस्त रहता है। इसलिए क्लाउड सीडिंग जैसे प्रयोग को कम ट्रैफिक वाले क्षेत्र से करना तकनीकी रूप से अधिक सुरक्षित माना गया।
IIT कानपुर द्वारा संचालित इस मिशन के लिए Cessna विमान को चुना गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, विमान ने उड़ान IIT कानपुर के एयरस्ट्रिप से भरी, लेकिन हर बार मेरठ एयरफील्ड को ही बेस बनाया गया।
एक अधिकारी के मुताबिक “दिल्ली में एक साथ कई विमान उड़ान भरते हैं। ऐसे में मेरठ को इसलिए चुना गया ताकि बाकी फ्लाइट ऑपरेशन पर असर न पड़े और प्रयोग सुचारू रूप से किया जा सके।”
तीन प्रयासों के बाद भी क्यों नहीं हुई बारिश
अब तक तीन बार क्लाउड सीडिंग की कोशिश की गई, लेकिन नमी और बादलों की कमी के कारण बारिश नहीं हो पाई।
पहला ट्रायल 23 अक्टूबर, दूसरा 28 अक्टूबर, और अब तीसरा 29 अक्टूबर को प्रस्तावित है।
IIT कानपुर के डायरेक्टर मनिंद्र अग्रवाल के अनुसार, “बुधवार को नमी का स्तर बेहतर रहेगा, इसलिए बारिश की संभावना पहले से अधिक है।”
दिल्ली सरकार ने सितंबर में IIT कानपुर के साथ 3 करोड़ रुपये की लागत से 5 ट्रायल्स करने का समझौता किया है।
इसका उद्देश्य है — कृत्रिम बारिश के जरिए प्रदूषण के स्तर को घटाना और वायु गुणवत्ता में सुधार लाना।












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