इथेनॉल मिश्रित ईंधन पर देशभर में बहस
केंद्र सरकार के 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) को अनिवार्य रूप से लागू करने के फैसले ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस नीति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए सरकार के कदम का समर्थन किया, लेकिन केरल में वाहन मालिक संघ ने इसे उपभोक्ताओं के साथ धोखा करार दिया है।
केरल के एसोसिएशन ऑफ व्हीकल ओनर्स (AVOK) ने नई याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया है। संघ का आरोप है कि उपभोक्ताओं से पेट्रोल की पूरी कीमत ली जा रही है, जबकि उसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाया गया है।
संघ अध्यक्ष मंगलास्सेरी नौफल ने दावा किया कि इससे इंजन को नुकसान, ईंधन रिसाव और आग लगने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों का कहना है कि देश में चल रहे ज्यादातर वाहन अभी E20 पेट्रोल के अनुकूल नहीं हैं। विशेषज्ञ विवेक वेणुगोपाल के अनुसार, इथेनॉल रबर सील और पाइपलाइन को तेजी से खराब करता है, जिससे दोपहिया वाहनों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
एक हालिया सर्वेक्षण में 66 प्रतिशत वाहन मालिकों ने E20 को लेकर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि इससे माइलेज में 10 से 20 प्रतिशत तक गिरावट आ रही है, जिससे ईंधन लागत बढ़ गई है और पेट्रोल आयात घटाने का लक्ष्य संदिग्ध हो गया है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा है कि माइलेज पर असर मामूली है और उचित रखरखाव से इसे कम किया जा सकता है।
मंत्रालय ने यह भी दावा किया कि नए वाहनों में माइलेज में 1–2 प्रतिशत और पुराने वाहनों में 3–6 प्रतिशत तक ही कमी होगी। सरकार का कहना है कि ब्राजील जैसे देशों में इथेनॉल मिश्रण लंबे समय से सफल है और भारत भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
बीमा कवरेज और कानूनी पेच
विवाद इस वजह से और गहरा गया है कि कुछ बीमा कंपनियों ने E20 से होने वाले नुकसान को कवर करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को आश्वासन दिया है कि बीमा सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। बावजूद इसके, अदालत और उपभोक्ताओं के बीच यह विवाद अब और तेज होने की संभावना है।

















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