कोनेरू हम्पी को हराकर नागपुर की 20 वर्षीय दिव्या बनीं 88वीं भारतीय ग्रैंडमास्टर
भारत की शतरंज दुनिया को एक नया गर्व का पल मिला है। नागपुर की 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने फाइनल में भारत की ही दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को टाईब्रेक में 1.5-0.5 से हराकर FIDE महिला विश्व कप 2025 का खिताब अपने नाम किया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ दिव्या विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
इस जीत ने उनका नाम भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर और चौथी विमेंस ग्रैंडमास्टर की सूची में भी दर्ज कर दिया।
जीत के बाद भावुक दिव्या ने कहा—“मुझे इसे समझने में समय लगेगा। ग्रैंडमास्टर खिताब मिलना किस्मत की बात थी। टूर्नामेंट से पहले मेरे पास एक भी मानक नहीं था। यह जीत मेरे लिए बहुत मायने रखती है… और मुझे उम्मीद है कि यह बस शुरुआत है।”
पहला रैपिड गेम ड्रॉ रहने के बाद, दूसरे गेम में दिव्या ने काले मोहरों से बेहतरीन चालें चलीं और बढ़त बनाई। टाईब्रेक में उन्होंने हम्पी को 1.5-0.5 से हराकर खिताब अपने नाम किया।
इस जीत के साथ दिव्या ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। वह FIDE महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं, और इसी के साथ उन्हें ग्रैंडमास्टर का खिताब भी मिल गया। एक ही दिन में विश्व चैंपियन और ग्रैंडमास्टर बनने वाली दिव्या देशमुख की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है।

नागपुर से विश्व चैंपियन तक
2005 में महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मी दिव्या देशमुख ने महज़ 5 साल की उम्र में शतरंज शुरूआत की। परिवार का शतरंज से कोई संबंध नहीं था—उनके माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं, लेकिन दिव्या का खेल के प्रति जुनून इतनी छोटी उम्र में ही साफ़ दिखने लगा।
सिर्फ 7 साल की उम्र में दिव्या ने अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीतकर सबको चौंका दिया। इसके बाद जूनियर कैटेगरी में लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में दबदबा बनाए रखा।
2021 में उन्होंने महिला ग्रैंडमास्टर (WGM) का ताज अपने नाम किया। 2023 में इंटरनेशनल मास्टर (IM) का खिताब हासिल कर उन्होंने अपने खेल को अगले स्तर पर पहुंचाया। लेकिन सबसे बड़ा मुकाम आया 2025 में—जब उन्होंने FIDE महिला विश्व कप जीतकर न केवल इतिहास रचा बल्कि भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनीं।
उनकी यह जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। नागपुर की नन्हीं खिलाड़ी से विश्व चैंपियन तक का उनका सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गया है।
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