साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु पुरस्कृत
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डाॅ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। डाॅ. कठोच ने पिछले कई वर्षों से इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दिया है। पौड़ी गढ़वाल गढ़वाल के रहने वाले डाॅ. यशवंत सिंह कठोच पेशे से एक शिक्षक हैं उन्होंने 33 वर्षों तक शिक्षक के रूप में सेवाएं दी हैं। साथ ही इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं। उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद अपना समय पूरी तरह से पुस्तक लेखन और उत्तराखंड के इतिहास की खोज में लगा दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कल 22 अप्रैल को उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डाॅ. यशवंत सिंह कठोच को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित किया। उन्हें यह सम्मान शिक्षा, इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने के लिए दिया गया है। डाॅ. कठोच उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में बतौर इतिहास के विशेषज्ञ और जानकार के रूप में भी सेवाएं देते आए हैं।
पौड़ी जिले के हैं डाॅ यशवंत कठोच
डाॅ यशवंत सिंह कठोच का जन्म पौड़ी जिले के चैन्दकोट पट्टी के मासौं गांव में 27 दिसंबर 1935 को हुआ था। इन्हांेने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की। फिर वहीं से वर्ष 1974 प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरातत्व विषय में विवि में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद इन्हें वर्ष 1978 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के गढ़वाल हिमालय के पुरातत्व पर शोध ग्रंथ प्रस्तुत किया और विवि ने उन्हें डीफिल की उपाधि से नवाजा। उन्होंने 33 वर्षों तक एक शिक्षक के रूप सेवाएं दी और वर्ष 1995 में वह प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो गए।
डाॅक्टर यशवंत सिंह कठोच की रचनाएं
अब तक कई किताबें व शोध पत्रों का वाचन कर चुके डाॅ. कठोच उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं. इस संस्थान की स्थापना 1973 में की गई थी। डाॅक्टर कठोच ने मध्य हिमालय की कला- एक वास्तु शात्रीय अध्ययन, मध्य हिमालय का पुरातत्व, संस्कृति के पदचिन्ह, सिंह भारती और उत्तराखंड की सैन्य परंपरा समेत दर्जन पुस्तकें लिखी हैं लेकिन उनकी पुस्तक ‘उत्तराखंड का नवीन इतिहास’ से उन्हें एक अलग पहचान मिली। इस पुस्तक में डाॅ कठोच ने वह सब शोध कर लिखा जो एटकिंसन के हिमालयन गजेटियर में लिखना छूट गया था। उन्होंने अपनी इस पुस्तक में उत्तराखंड के इतिहास की बारीकियों से जानकारी दी है। शोध छात्रों के लिए ये डाॅ कठोच की ये पुस्तकें लाभदायक साबित हो रही हैं. उत्तराखंड और यहां की संस्कृति के साथ ही मध्य हिमालय में रुचि रखने वालों के लिए उनकी ये किताबें मार्गदर्शक का काम करती हैं. अभी वो मध्य हिमालय के पुराभिलेख और इतिहास तथा संस्कृति पर निबंध जैसी रचनाओं को पूर्ण करने का काम कर रहे हैं।