- मनी लॉन्ड्रिंग केस में पत्नी समेत पांच पर आरोपपत्र दाखिल
- देहरादून की विशेष कोर्ट में दाखिल हुआ PMLA चार्जशीट
- ट्रस्ट और मेडिकल कॉलेज की जमीन खरीद को बताया गया अवैध
उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर Enforcement Directorate (प्रवर्तन निदेशालय) की सक्रियता के कारण गरमा गई है। राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान में कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
ईडी ने सहसपुर ज़मीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत, करीबी लक्ष्मी राणा, बीरेंद्र सिंह कंडारी और पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ देहरादून स्थित विशेष मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है।
एजेंसी का आरोप है कि इन सभी ने मिलकर अवैध तरीके से जमीन की खरीद-फरोख्त की और नियमों को ताक पर रखकर एक निजी मेडिकल संस्थान की स्थापना की, जिसका संचालन रावत परिवार के पास है।
70 करोड़ की जमीन पहले ही हो चुकी है अटैच
इस मामले की जांच पहले से चल रही थी, जिसमें जनवरी 2025 में ईडी ने सहसपुर क्षेत्र में दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा के नाम पर दर्ज की गई करीब 101 बीघा ज़मीन को अटैच कर लिया था।
इस ज़मीन की अनुमानित कीमत 70 करोड़ रुपये बताई गई है। इसी जमीन पर पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के नाम से दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की नींव रखी गई, जिसे हरक सिंह रावत के बेटे तुषित रावत संचालित कर रहे हैं।
जांच में उजागर हुई साजिश
ईडी के अनुसार, यह ज़मीन बेहद कम दामों में कोर्ट आदेश की अनदेखी करते हुए पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए खरीदी गई। जांच में सामने आया है कि जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए कोर्ट के स्पष्ट आदेशों को नजरअंदाज किया गया और बीरेंद्र सिंह कंडारी (पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर) ने ज़मीन दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा के नाम कर दी।
ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक यह सारा मामला एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था, जिसमें सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए जमीन को बेनामी तरीके से हस्तांतरित किया गया।
इस कार्रवाई के बाद हरक सिंह रावत ने ईडी पर राजनीतिक दुर्भावना से काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हर चुनाव से पहले ईडी की सक्रियता अचानक बढ़ जाती है। “2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भी मेरे घर और संस्थानों पर छापेमारी हुई थी, अब पंचायत चुनावों से पहले फिर वही दोहराया जा रहा है। यह राजनीतिक दबाव में किया गया षड्यंत्र है,”
करीबियों की संपत्तियों की भी हो रही जांच
सूत्रों के मुताबिक, ईडी सिर्फ हरक सिंह रावत और उनके परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके सहयोगियों और रिश्तेदारों की संपत्तियों पर भी नजर रख रही है। कुछ को आय से अधिक संपत्ति के मामलों में नोटिस भी भेजे जा चुके हैं। जांच एजेंसी ने कुछ बेनामी संपत्तियों को ट्रैक किया है, जिनकी जांच प्रक्रिया अब तेज़ हो गई है।
पंचायत चुनावों से ठीक पहले आई इस बड़ी कार्रवाई ने कांग्रेस और भाजपा के बीच बयानबाज़ी को हवा दे दी है। कांग्रेस इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रही है तो भाजपा इसे भ्रष्टाचार पर चोट बता रही है। अब सभी की निगाहें देहरादून की विशेष अदालत की अगली सुनवाई और संभावित गिरफ्तारी की ओर हैं।
