उत्तराखंड में सोमवार को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जा जा रहा है। ईदगाह और मस्जिदों में ईद की नमाज पढ़ी जा रही है। इस दौरान लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दे रहे हैं।
ईद-उल-फितर इस्लाम धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहार है। यह रमजान के महीने के बाद मनाया जाता है, जो इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने में आता है।
‘ईद’ का मतलब है खुशी या उत्सव, और ‘फितर’ का अर्थ है उपवास (रोज़ा)। इस प्रकार, ईद-उल-फितर का शाब्दिक अर्थ है “उपवास के बाद का उत्सव”।
यह दिन मुसलमानों के लिए एक विशेष अवसर होता है, जो पूरे महीने के कठिन उपवास के बाद खुशियां मनाने का समय होता है। ईद-उल-फितर सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह प्रेम, भाईचारे, दया और समानता का प्रतीक भी है।
इस बार रमजान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई थी और 30 मार्च यानी कल पूरे देश में ईद का दिखा इसलिए ईद-उल-फितर 31 मार्च यानी आज मनाई जा रही है।
इस दिन लोग एक-दूसरे को ‘ईद मुबारक’ कहकर बधाई देते हैं और गले मिलते हैं साथ ही, ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन सेवइयां और अन्य मीठे व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
ईद-उल-फितर का पर्व धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह रमजान के महीने की कठिन तपस्या के बाद, आस्था, आत्म-निर्माण और सामाजिक दायित्वों के पालन का प्रतीक है।
ईद-उल-फितर मुसलमानों के लिए एक आंतरिक शांति और आस्था का उत्सव होता है, जिसमें वे अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाते हुए समाज में अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं।
इस दिन, मुसलमान न केवल खुद को शुद्ध करते हैं, बल्कि समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्ग की मदद भी करते हैं, जिससे पूरे समुदाय में भाईचारा और समानता की भावना बढ़ती है।