रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

झारखंड आंदोलन के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन

  • 81 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस
  • लंबे समय से बीमार, दिल्ली में चल रहा था इलाज

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से किडनी संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।

Test ad
TEST ad

जून के अंत में उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे।

हेमंत सोरेन ने भावुक होकर दी जाकारी

शिबू सोरेन के निधन की पुष्टि उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की। उन्होंने लिखा, “आदरणीय ‘दिशोम गुरुजी’ हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।”

झारखंड आंदोलन के सबसे बड़े नेता

11 जनवरी 1944 को हजारीबाग (तत्कालीन बिहार, अब झारखंड) में जन्मे शिबू सोरेन आदिवासी समाज और झारखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे।

1970 के दशक में उन्होंने ‘धनकटनी आंदोलन’ और कई अन्य आंदोलनों के माध्यम से आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष किया। बिहार से अलग झारखंड राज्य के गठन में उनकी निर्णायक भूमिका रही। समर्थकों के बीच वे ‘दिशोम गुरु’ और ‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर थे।

1973 में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया, जिसका उद्देश्य बिहार के जंगल और आदिवासी इलाक़ों से अलग झारखंड राज्य बनाना था। लगभग तीन दशकों के संघर्ष के बाद उनका उद्देश्य साल 2000 में हासिल हुआ था।

1980 से 2019 तक दुमका सीट से चुनाव जीतकर सात बार लोकसभा पहुंचे थे। 2019 में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार सुनील सोरेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

कम उम्र में विवाह करने वाले शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। सामाजिक न्याय, आदिवासी अधिकार और पर्यावरण संरक्षण के लिए उनका योगदान झारखंड के इतिहास में दर्ज है। 

उनकी जीवनी कई पुस्तकों और दस्तावेजों में संजोई गई है। JMM कार्यकर्ताओं के लिए उनकी ‘लक्ष्मीनिया जीप’ आज भी एक प्रेरणास्रोत है।

शिबू सोरेन ने एक ऐसा आंदोलन खड़ा किया, जिसने झारखंड को पहचान दिलाई और उन्हें इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज कर दिया। 

शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर

शिबू सोरेन ने 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1980 में वे पहली बार लोकसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने छह बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने केंद्र में तीन बार कोयला मंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाला।

तीन बार मुख्यमंत्री, लेकिन अधूरे रहे कार्यकाल

शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री 2005, 2008 और 2009 में बने। हालांकि, उनका कोई भी कार्यकाल पूर्ण नहीं हो सका।

  • पहला कार्यकाल (मार्च 2005): केवल 10 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे।
  • दूसरा कार्यकाल (अगस्त 2008–जनवरी 2009): लगभग 5 महीने तक सत्ता में रहे।
  • तीसरा कार्यकाल (दिसंबर 2009–मई 2010): इस बार भी केवल 5 महीने तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।
https://regionalreporter.in/acmo-drunk-driving-accident-badrinath-highway-rudraprayag/
https://youtu.be/sLJqKTQoUYs?si=7ZalgrCOtcLhUqyt
Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: