भारत के चार धामों में प्रमुख बदरीनाथ धाम न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक आस्था और सनातन परंपराओं का अद्भुत संगम भी है। बदरीनाथ मंदिर के कपाट हर वर्ष अक्षय तृतीया के बाद खोले जाते हैं और इसके पहले एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होता है – जिसे गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा कहा जाता है।
हर वर्ष की भांति इस बार भी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर भगवान बदरीविशाल के महाभिषेक के लिए प्रयुक्त होने वाले तिलों के तेल का कलश श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के चेला चेतराम यात्री विश्राम गृह धर्मशाला रेलवे रोड ऋषिकेश से दर्शन पूजा-अर्चना भोग के पश्चात बुधवार अपराह्न साढ़े तीन बजे श्री शत्रुघन मंदिर मुनिकीरेती को प्रस्थान हुई।
राजदरबार नरेंद्रनगर से तेलकलश गाडू घड़ा यात्रा का शुभारंभ हुआ। देर शाम को गाडू घड़ा यात्रा पहले पड़ाव श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के रेलवे रोड ऋषिकेश चेला चेतराम धर्मशाला/ विश्राम गृह पहुंची। जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु तेलकलश गाडू घड़ा के दर्शन करने पहुंचे।
तेल कलश पहले पड़ाव ऋषिकेश, सहित मुनिकीरेती, श्रीनगर, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर, श्री गरूड़ मंदिर पाखी, श्री नृसिंह मंदिर ज्योर्तमठ, श्री योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर सहित विभिन्न पड़ावों से होकर तीन मई शाम को श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगा।
इसके साथ ही श्री नृसिंह मंदिर ज्योर्तिमठ से रावल, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व योगबदरी पांडुकेश्वर से भगवान उद्धव, भगवान कुबेर भी तीन मई शाम को श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे। चार मई को प्रातः 6 बजे भगवान बदरीविशाल मंदिर के कपाट खुलेंगे।
इस मौके पर श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी, उपाध्यक्ष भास्कर डिमरी, महामंत्री भगवती प्रसाद व डिमरी, पूर्व अध्यक्ष विनोद डिमरी, संजय डिमरी, हरीश डिमरी, डा. अनूप डिमरी, शैलेन्द्र डिमरी, दिवाकर डिमरी, बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़, गुलशन तलवार, प्रेम किशोर नौटियाल, स्वास्तिक नौटियाल, वेद किशोर नौटियाल, सरपंच विजय राम डिमरी, शिवप्रसाद डिमरी, भोलादत्त डिमरी, सुभाष डिमरी, गौरव डिमरी आदि थे।
क्या है गाडू घड़ा यात्रा?
‘गाडू घड़ा’ का अर्थ है – पवित्र तेल का कलश। यह कलश तेल से भरा होता है, जिसे नरसिंह मंदिर (जोशीमठ) से बद्रीनाथ मंदिर तक यात्रा कराकर लाया जाता है। इस तेल से भगवान बद्रीनारायण की अभिषेक सेवा (श्रीविग्रह का स्नान और मालिश) की जाती है, जब कपाट खुलने से पहले उनकी विशेष पूजा होती है।
गाडू घड़ा की यात्रा की प्रक्रिया:
- शुद्धता और विधिविधान: यह यात्रा विष्णुपदी गंगा के पवित्र जल से निर्मित तेल के कलश के साथ आरंभ होती है। इस तेल को विशेष रूप से तैयार किया जाता है, जो भगवान के विग्रह की मालिश में प्रयुक्त होता है।
- शंखध्वनि और भजन-कीर्तन: यात्रा के दौरान भक्तगण शंख, ढोल, दमाऊ और धार्मिक भजनों के साथ एक शोभायात्रा निकालते हैं। यह यात्रा भक्ति, श्रद्धा और उल्लास से ओत-प्रोत होती है।
- जोशीमठ से बद्रीनाथ: यह कलश जोशीमठ के आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित नरसिंह मंदिर से निकाला जाता है और फिर बद्रीनाथ मंदिर तक सम्मानपूर्वक ले जाया जाता है।
धार्मिक महत्व:
यह यात्रा भगवान बद्रीनाथ के शीतकालीन प्रवास (जोशीमठ) से उनकी ग्रीष्मकालीन वापसी (बदरीनाथ) का प्रतीक है।
यह परंपरा शंकराचार्य परंपरा और पंच बद्री संस्कृति से भी जुड़ी हुई है।
यह तेल भगवान के जीवंत विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा का अहम हिस्सा होता है, जो भक्तों को दर्शन और आशीर्वाद देने हेतु सजीव रूप प्रदान करता है।
