जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज बृहस्पतिवार यानी आज तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आएंगे। इस दौरान वे व्यापार, हरित ऊर्जा, द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापक वार्ता करेंगे।
शोल्ज इससे पहले बीते साल दो बार भारत यात्रा पर आए थे। वे बीते साल फरवरी में द्विपक्षीय राजकीय यात्रा और सितंबर में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए थे।
दोनों देशों के बीच इन मुद्दों पर होगी चर्चा
25 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर शोल्ज सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह- अध्यक्षता करेंगे। आईजीसी के तहत दोनों पक्षों के मंत्री अपने-अपने जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में चर्चा करते हैं और अपने विचार-विमर्श के परिणामों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री और चांसलर को देते हैं।
आईजीसी एक द्विवार्षिक कवायद है। आखिरी बार इसका आयोजन मई 2022 में बर्लिन में किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर के बीच बैठक में जर्मन-भारतीय हरित और सतत विकास साझेदारी (जीएसडीपी) पर सहमति बनी थी।
दोनों नेता सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने, प्रतिभा की गतिशीलता के लिए अधिक अवसर, गहन आर्थिक सहयोग, हरित और सतत विकास साझेदारी और उभरती और रणनीतिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर विचार-विमर्श करने के लिए बातचीत करेंगे।
गोवा बंदरगाह पर कार्यक्रम आयोजित
26 अक्टूबर को जर्मन चांसलर गोवा के लिए रवाना होंगे, जहां जर्मन नौसेना का फ्रिगेट “बैडेन-वुर्टेमबर्ग” और लड़ाकू सहायता जहाज “फ्रैंकफर्ट एम मेन” जर्मनी की इंडो-पैसिफिक तैनाती के हिस्से के रूप में एक निर्धारित बंदरगाह पर रुकेंगे। चांसलर का प्रस्थान दिन में बाद में होगा, जो भारत की उनकी यात्रा का समापन करेगा।
भारत-जर्मनी संबंध
जर्मनी यूरोप में भारत के सबसे महत्वपूर्ण भागीदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच 2000 से ‘रणनीतिक साझेदारी’ है, जिसे सरकार के प्रमुखों के स्तर पर अंतर-सरकारी परामर्श (IGC) के शुभारंभ के साथ और मजबूत किया गया है। दोनों देशों के बीच रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, निवेश और उच्च शिक्षा जैसे विभिन्न मोर्चों पर सहयोग है।
भारत और जर्मनी एक मजबूत आर्थिक और विकासात्मक साझेदारी साझा करते हैं। देश में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं जिन्होंने देश के विकास में सकारात्मक योगदान दिया है।
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