अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को विदेशी छात्रों के एडमिशन से रोक दिया है, जिससे वैश्विक शिक्षा जगत में हलचल मच गई है। यह निर्णय हार्वर्ड की स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) की प्रमाणन रद्द करने के बाद लिया गया, जिससे विश्वविद्यालय अब नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकित नहीं कर सकता।
ट्रंप प्रशासन का आरोप
अमेरिकी गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड पर आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने विदेशी छात्रों के अनुशासनात्मक रिकॉर्ड साझा करने से इनकार किया और कैंपस में यहूदी विरोधी गतिविधियों तथा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ कथित संबंधों को नजरअंदाज किया।
ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कोर्ट पहुंचा विश्वविद्यालय
ट्रंप प्रशासन द्वारा विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगाने के फैसले के बाद, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस कदम को “अवैध और मनमाना” बताते हुए अदालत का रुख किया । यह विवाद शिक्षा क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के भविष्य को लेकर गहरा संकट पैदा कर रहा है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने बोस्टन की संघीय अदालत में याचिका दायर करते हुए प्रशासनिक निर्णय को संविधान और उच्च शिक्षा की आज़ादी के विरुद्ध बताया। विश्वविद्यालय ने कहा कि यह निर्णय हज़ारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के भविष्य और वैश्विक शोध सहयोग पर हमला है।
अदालत ने तत्काल प्रभाव से ट्रंप प्रशासन के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 29 मई 2025 को निर्धारित की गई है।
भारतीय छात्रों पर असर
हार्वर्ड में इस समय लगभग 6,800 विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें करीब 788 भारतीय छात्र शामिल हैं। नए शैक्षणिक सत्र में दाखिले की प्रक्रिया अधर में लटक गई है। भारत सरकार ने इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए छात्रों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है।
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