उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए राज्यभर में तेजी से फैल रही अवैध कॉलोनियों और बिना स्वीकृत नक्शे के भवनों के निर्माण पर सख्ती दिखाई है। यह फैसला ऋषिकेश निवासी पंकज अग्रवाल, चंद्रभूषण शर्मा और अभिषेक चावला द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया।
याचिकाकर्ताओं ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत प्राप्त दस्तावेजों और वर्ष 2016 की एक अधिसूचना के माध्यम से न्यायालय को यह बताया कि किस प्रकार सरकारी नियमों की अनदेखी कर कॉलोनाइज़र और बिल्डर अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रहे हैं। कोर्ट ने इसे जनहित से जुड़ा मामला मानते हुए राज्य सरकार और प्रशासन को कई सख्त निर्देश जारी किए हैं।
नियमों की अनदेखी कर अवैध कॉलोनियां हो रही विकसित
तीनों याचिकाकर्ताओं ने RTI से प्राप्त दस्तावेजों में स्पष्ट किया कि किस तरह नियमों की अनदेखी कर अवैध कॉलोनियां विकसित हो रही हैं।
2016 की सरकार की अधिसूचना के बावजूद स्थानीय निकाय इन निर्माणों पर रोक लगाने में नाकाम रहे। कोर्ट ने इसे गंभीर प्रशासनिक चूक मानते हुए मामले को संज्ञान में लिया।
बिना नक्शे के नहीं मिलेगा बिजली कनेक्शन
कोर्ट ने आदेश दिया कि अब किसी भी निर्माणाधीन भवन को तब तक बिजली का अस्थायी कनेक्शन न दिया जाए जब तक कि उसका नक्शा विधिवत रूप से स्वीकृत न हो। साथ ही जिन निर्माणों का नक्शा पहले से स्वीकृत नहीं है, उनके बिजली कनेक्शन तत्काल प्रभाव से काटे जाएं।
अनिवार्य होगा Occupancy Certificate
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जल, सीवर और विद्युत जैसी मूलभूत सुविधाएं केवल उन्हीं भवनों को दी जाएंगी जिनके पास अधिकृत क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण से प्राप्त Occupancy Certificate होगा। इससे अवैध कॉलोनियों पर बड़ा अंकुश लगेगा।
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक पारदर्शी वेबसाइट तैयार करे, जिस पर राज्य में अवैध कॉलोनियों, नक्शा विहीन भवनों और स्वीकृत निर्माणों की पूरी जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराई जाए। इससे लोग गलत प्रोजेक्ट में निवेश करने से बच सकेंगे।
निर्णय से प्रशासन में हड़कंप
कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के कई ज़िलों विशेषकर देहरादून, ऋषिकेश और उधम सिंह नगर में प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कई स्थानों पर ऐसे निर्माण चिन्हित किए जा रहे हैं जो नियमों के विरुद्ध हैं। सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह कोर्ट के आदेशों को शीघ्र लागू करेगी।
