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रूस से तेल आयात पर जयशंकर का अमेरिका-यूरोप को करारा जवाब

रूस से कच्चे तेल की खरीद पर अमेरिका और यूरोप की आपत्तियों के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की ऊर्जा नीति का दो टूक बचाव किया है।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदना किसी की मजबूरी नहीं है-“अगर आपको दिक्कत है, तो मत खरीदिए।”

जयशंकर का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर नए टैरिफ वॉर का ऐलान किया है।

“अगर पसंद नहीं तो मत खरीदिए”:जयशंकर

इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडरशिप फोरम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा, “यह हास्यास्पद है कि एक प्रो-बिजनेस अमेरिकी प्रशासन भारत पर बिजनेस करने का आरोप लगाए।

यूरोप और अमेरिका खुद भी रूसी तेल खरीद रहे हैं, लेकिन भारत को ही निशाना बनाया जा रहा है। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में समस्या है, तो बिल्कुल मत खरीदिए।”

ट्रंप का टैरिफ वॉर

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिसमें 25% अतिरिक्त शुल्क रूस से बढ़े हुए आयात को “सज़ा” देने के तौर पर लगाया गया है।

भारत ने इस कदम को अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि जब चीन और यूरोपीय संघ रूस से कहीं अधिक तेल खरीद रहे हैं, तो केवल भारत को दंडित करना असंगत है।

“भारत अपने राष्ट्रीय हित में फैसले लेगा”

जयशंकर ने कहा कि रूस से तेल खरीदना न केवल भारत के राष्ट्रीय हित में है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने में भी योगदान देता है।

उन्होंने याद दिलाया कि 2022 में तेल की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं, उस समय अमेरिका और यूरोप ने ही भारत को रूसी तेल खरीदने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, “भारत स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता रखता है और हम वही करेंगे जो हमारे राष्ट्रीय हित में होगा।”

विदेश मंत्री ने अमेरिकी रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है, फिर भी उसके खिलाफ कोई दंडात्मक टैरिफ नहीं लगाया गया। इसके विपरीत, भारत पर अतिरिक्त शुल्क थोपना “दोहरा मापदंड” है।

भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव के बावजूद संवाद जारी

व्यापार वार्ता में गतिरोध स्वीकार करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत की अपनी “लक्ष्मण रेखाएं” हैं और किसानों व छोटे व्यवसायों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि मतभेदों के बावजूद अमेरिका और भारत के बीच संचार कायम है और दोनों देश बड़े साझेदार होने के नाते बातचीत जारी रखेंगे।

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