रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

सुनिए तो बसबीड़ा वाली अम्मा की धाद (धै)

25 साल हो गए 25 साल उत्तराखण्ड बनें। हमको क्या मिला। क्या सोचा था और क्या हो गया। अभी तक न हमारे पास न स्कूल है न अस्पताल और न ही हमारे बच्चों के लिए रोजगार। चौखुटिया में बच्चे भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

34 दिन हो गए हैं भूख हड़ताल में। इतने छोटे-छोटे बच्चे बैठे है भूख हड़ताल में। एक को ग्यारह दिन हो गए भूख हड़ताल है। एक लड़का है जो आंख नहीं देखता। हाथ पकड़कर ले जाते हैं बाहर-भीतर। पढ़ा-लिखा लड़का है। वो भी बैठा हुआ है भूख हड़ताल में।

आधे बच्चे हमारे देहरादून गए हैं पैदल। 300-400 किमी. होता है वहां। सरकार ने उनके साथ बदतमीजी की। औरते भी हैं और आदमी भी। किसी के कपड़े फाड़ दिए। वो शांति से बैठे है अस्पताल दो कि मांग के साथ। ये हो रहा है उत्तराखण्ड का विकास।

तबीयत खराब हो तो कहां जाएं। मेरी बहू शिक्षिका है बच्चे तबीयत खराब होने पर कहते हैं कि मैडम अस्पताल ले जा दो। अस्पताल ले जाने पर वहां से आगे भेज दिया जाता है। गरीब आदमी बाहर कैसे जाए। हम इनको वोट देते हैं वोट। अच्छा होगा सोचकर। जब इनको दस्त लग जाते हैं तो इनके लिए हेलीकॉप्टर आ जाता है।

हम कहां जाएं इस उत्तराखण्ड में। जो गुंडे है उन्होंने हमारा सारा पहाड़ और जमीनें खरीद ली हैं। लोग चाहते हैं अपनी जमीनों पर कृषि करना लेकिन बंदर यहां, भालू यहां, जंगली सूअर यहां, सियार यहां जो जब नोचकर खा जा रहे हैं। क्यां करूं ये जो सरकार है इसके कान फूट गए हैं।

जो छोटे-छोटे बच्चे हैं तुम आगे आओ तुम्हारे हम भी आगे बढ़ेंगे। अब चुप रहने का काम नहीं रह गया है। 25 सालों में बहुत हो गया बहुत देख लिया अब कुछ नहीं होने वाला आगे बढ़िए।

गैससैण को राजधानी बनाओ। ये जो सरकार और नेता हैं इन्होंने अपने फायदे के लिए देहरादून बना दी है। इतनी बढ़िया जगह हमारी गैरसैण में है यहां क्यों नहीं बना रहे राजधानी।

हम जनता को बद्दू बनाया अब चुप नहीं रह सकते। ये हमारा हक है हम इसे मांग कर छोड़ेगें। आज दो, अभी दो राजधानी गैरसैण दो।

https://regionalreporter.in/twenty-five-years-of-uttarakhand-celebrations/
https://youtu.be/sLJqKTQoUYs?si=QjBq9qmiBOR4Hbzf
Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: