महीपाल नेगी
यह एक दुर्लभ माने जाने वाला जीव “हिमालयन पाॅम सिवेट” है, जिसे हम भारतीय लोग कस्तूरी बिडाल नाम से भी जानते हैं। वर्ष 2008 में इसे खतरे में आ रहे दुर्लभ जीव – जंतुओं की रेड सूची में शामिल किया गया था।
टिहरी जिले के प्रतापनगर व जाखणीधार विकास खण्ड में फैले पीडी़ पर्वत, जिसे कई बार स्थानीय लोग खैट पर्वत या खैट पीड़ी के संयुक्त नाम से पुकारते हैं, के जंगल में इस जीव को कैमरे में कैद किया है हमारे साथी धारकोट गांव के पूर्व प्रधान योगेंद्र नेगी, गुड्डू भाई ने।
गुड्डू भाई पहले भी इस जंगल में कैट लेपर्ड व सरौं आदि दुर्लभ जंतुओं को देख व कैमरे में भी ले चुके हैं। धारकोट, पटुडी व कफलोग आदि गांवों से लेकर प्रतापनगर व दूसरी ओर ढुंग मंदार तक फैले खैट पीड़ी के दुर्गम जंगल में दुर्लभ जंतुओं का दिखना अच्छी बात है।
पीड़ी पर्वत व भराड़ी मंदिर तक लोग जंगल के रास्तों से जाते हैं। इस तरफ भी जंगल में आग लगती रही है, हालांकि इस वर्ष ज्यादा आग नहीं लगी। हो सकता है, इस कारण दुर्लभ जीव जंतु कुछ सहज महसूस कर रहे हों। वैसे तो यह जीव मांसाहारी है, जो पक्षी, चूहे, सांप आदि खाता है लेकिन जंगली फल और कुछ पत्तियों को भी भोजन बनाता है।
अब तक रेड सूची के तीन जीव जंतु – कैट लेपर्ड, सरौं और अब यह हिमालय पाॅम सीवेट। एक ही जंगल में और वह भी टिहरी के काफी निकट। गुड्डू भाई जंगल और दुर्लभ जीव – जंतुओं पर अध्ययन करते रहते हैं। कभी खैट पीडी़ की ट्रैकिंग करनी हो तो इन्हें गाइड बनाया जा सकता है।
यह भी जान लीजिए कि पीड़ी पर्वत के एक छोर की ओर ही खैट शिखर है, जहां अछरियों (वन देवियों) का निवास माना जाता है ……
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