रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

रक्षाबंधन : श्रद्धा ,परंपरा और संरक्षण का महोत्सव

आचार्य पं. शम्भू प्रसाद गौड़

Test ad
TEST ad

रक्षाबंधन जिसे राखी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो कि आम तौर पर अगस्त माह में पड़ता है

इस वर्ष संवत् २०८२ श्रावण शुक्ल पूर्णिमा आंग्लमतेन 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा।

तिथि और शुभ मुहूर्त

राखी बंधने हेतु पूरा दिन शुभ रहेगा विशेषकर प्रातःकाल से लेकर दोपहर 1:30बजे तक।

अभिजीत मुहूर्त (अत्यंत शुभ)

हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से यह एक विशेष त्योहार है जो कि भाई बहन के मध्य कर्तव्य प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर भाई के स्वास्थ्य एवं समृद्धि की कामना करती है।

यह त्योहार भाई बहन के अतुल्य प्रेम का एक महान पर्व है। यह केवल राखी का धागा नहीं बल्कि भावात्मक सुरक्षा कवच होता है। जो जीवनभर बना रहता है।

पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व

रक्षाबंधन का महत्व एवं उल्लेख अनेक पौराणिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं में मिलता है।

  • श्री कृष्ण और द्रोपदी: यह कहानी महाभारत काल की है जब कृष्ण की उंगली पर चोट लगने पर द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू उनकी उंगली पर बांध लिया था यह रक्षा सूत्र बना। बदले में कृष्ण ने चीरहरण के अपमान से द्रौपदी को बचाकर भाई का कर्तव्य निभाया।
  • राजा बलि और लक्ष्मी: इस कथा का उल्लेख भविष्य पुराण में मिलता है, जब भक्तराज प्रहलाद के पौत्र राजा विरोचन के पुत्र दानवीर राजा बलि ने यज्ञ के दौरान भगवान विष्णु को द्वारपाल बनाया। वैकुंठ में देवी लक्ष्मी अकेली और चिंतित रहने लगी। तब देवी लक्ष्मी वेश बदलकर यज्ञ में गई और श्रावण पूर्णिमा के दिन राजा बलि को राखी बांधकर अपना वास्तविक रूप प्रकट किया और भगवान विष्णु को मुक्त करने का अनुरोध किया। विश्वास और सम्मान के इस भाव ने सद्भावना और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में रक्षाबंधन की परंपरा को स्थापित किया।
  • रानी कर्णावती और हुमायूं: चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने दिल्ली के मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी और अपने राज्य की रक्षा की अपील की। हुमायूं ने राखी का सम्मान करते हुए उनकी रक्षा की।
  • यम और यमुनाजी: यमराज ने यमुनाजी से वचन दिया कि जो बहन भाई की कलाई पर राखी बंधेगी और भाई उसकी रक्षा का वचन देगा उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा।

वैदिक और ज्योतिषीय महत्व

रक्षाबंधन वैदिक परंपरा का भी एक विशेष पर्व है। इस दिन ब्राह्मण उपाकर्म, वेद मंत्रों का पाठ, गायत्री मंत्र जाप एवं गुरु पूजन करते हैं।

रक्षासूत्र की परंपरा यज्ञों से उत्पन हुई मानी जाती है। इस दिन पुरोहित यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं।

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचलः (जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।)

पर्यावरण की रक्षा का संकल्प

कही जगह पर पर्यावरण के प्रहरी, पेड़ पौधों,जल स्रोतों को राखी बांधकर संरक्षण का संकल्प लिया जाता है।प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण की रक्षा हेतु इस संकल्प को अपनाकर प्रकृति के उपकारों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।

रक्षाबंधन का पर्व अत्यंत मंगलकारी योग में मनाया जाएगा। आप सभी शुभ मुहूर्त में राखी बांधे ,बहनों के सम्मान का संकल्प लें एवं पारिवारिक प्रेम को प्रगाढ़ करें।

https://regionalreporter.in/35-thousand-candidates-appeared-in-the-police-constable-recruitment-written-examination/
https://youtu.be/sLJqKTQoUYs?si=Jr8hOuH288zYz5Ou

Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: