रात डेढ़ बजे तक रामलीला मंचन देखने डटे रहे दर्शक
श्रीनगर में 125वीं रामलीला मंचन का उत्साह दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है। रामलीला मंचन के छठवें दिन मंगलवार 8 अक्तूबर को रावण भरे पंडाल के बीच सीता को पुष्पक विमान में उड़ा ले गया। मंगलवार को अभिनीत हुए शूर्पणखा-राम, शूर्पणखा-लक्ष्मण संवाद, खर-दूषण के जबरदस्त अभिनय, मामा मारीच के विशेष प्रसंग तथा सीता हरण के दृश्य को देखने के लिए रामलीला मैदान में रात्रि डेढ़ बजे तक सैंकड़ों दर्शक डटे रहे।
तीन अक्तूबर को श्रीनगर के पौराणिक कमलेश्वर महादेव मंदिर से प्रारंभ हुई रामलीला दिन-ब-दिन दर्शकों की भीड़ बटोरने में सफल रही है। मंगलवार को मंचित हुई रामलीला में रामलीला मैदान पूरी तरह दर्शकों से भरा हुआ था। शूर्पणखा संवाद में कलाकार डा.अलका पांडे, राम की भूमिका में अभिषेक रावत, लक्ष्मण पवन जोशी, सीता आयुष बहुगुणा, खर की भूमिका में अरुण बडोनी, दूषण सुधीर डंगवाल, रावण विजयमोहन उनियाल, मामा मारीच की शानदार भूमिका में टी.सी.थपलियाल, जोगी रावण विजय रावल तथा मंत्री की भूमिका निभा रहे रणजीत सिंह नेगी ने अपनी जानदार प्रतिभा के प्रदर्शन से ऐसा समां बांधा कि अर्धरात्रि के बाद भी दर्शक रामलीला मैदान में ही डटे रहे।
संगीत पक्ष की मजबूती तथा एलईडी ने लगाए चार चांद
रामलीला मंचन में सफल अभिनय के लिए संगीत पक्ष तथा मंच पर लगाई गई एलईडी ने चार चांद लगा दिए हैं। हारमोनियम पर वीरेंद्र रतूड़ी, की बोर्ड पर जगमोहन, तबले पर राजमोहन, ढोलक पर शिवलाल, पैड पर संजय पांडे, तथा वसुधा गौतम के गायन ने रामलीला मंचन में जान डाल दी है। रामलीला समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कैंतुरा कहते हैं कि मेरा सौभाग्य है कि 125वें वर्ष की इस रामलीला का प्रदर्शन मेरे कार्यकाल में हो रहा है। दर्शकों की भारी भीड़ बता रही है कि हमारी पूरी टीम किस कदर राम काज के लिए समर्पित है।
जोगी रावण के पात्रों ने बनाया इतिहास
श्रीनगर में सीता हरण के दृश्यांकन को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण रहे जोगी रावण के पात्रों ने इतिहास रचा है।
पूर्व पालिकाध्यक्ष मोहनलाल जैन
पूर्व पालिकाध्यक्ष मोहनलाल जैन, ने वर्ष 1967 से 2002 तक कुल 36 वर्षों तक जोगी रावण का पाठ खेला। वे बताते हैं कि शुरुआती दिनों में वे बिजनौर में कार्यरत थे और तब बिजनौर से मुजफ्फरनगर होते हुए करीब 200 किमी. की यात्रा करके पाठ खेलने श्रीनगर आते तथा फिर पाठ खेलकर बिजनौर के लिए लौट जाते। 10 दिनी रामलीला में वे लगातार तीन दिनों तक ऐसा किया करते थे। उन्होंने 10 वर्षों तक सुग्रीव का पाठ भी खेला।
विजय रावल
मंगलवार को अपने अभिनय से घर लौटने को तत्पर दर्शकों को बांधने में सफल रहे जोगी रावण के किरदार विजय रावल ने रामलीला के मंच पर पुनः 24 वर्ष बाद वापसी की। इससे पूर्व उन्होंने 1993 से 1996 तक सीता तथा 1997 से 1999 तक राम के पात्र की भूमिका में अभिनय किया, जिसे तब के दर्शक आज भी सराहते नजर आए।
शूर्पणखा के अभिनय में डा. अलका पांडे ने मोहा मन
लगातार दूसरे वर्ष शूर्पणखा का अभिनय कर रही डा. अलका पांडे ने अपने किरदार को बहुत मजबूती से निभाया। महिला किरदार के रूप में एकमात्र महिला पात्र डा. अलका ही अभिनय कर रही हैं। श्रीनगर में महिला पात्रों को रामलीला में लाने का श्रेय संगीत पक्ष का नेतृत्व कर रहे वीरेंद्र रतूड़ी को जाता है। 2012 में उनकी ओर से महिला पात्रों के लिए न सिर्फ पैरवी की गई, बल्कि उन्हें मंच पर उतारा भी गया, लेकिन कतिपय कारणों से फिर महिलाओं को रामलीला में नहीं लिया गया। वर्ष 2023 की रामलीला में एक बार फिर डा.अलका को शूर्पणखा की भूमिका दी गई। मंगलवार 8 अक्तूबर को हुए मंचन में शूर्पणखा के अभिनय ने सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।