सोमवार को भारतीय रुपया एक बार फिर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया। इंपोर्टर्स की भारी हेजिंग और बाज़ार में सट्टेबाज़ी बढ़ने के कारण रुपया दबाव में रहा।
रुपया सोमवार को ट्रेडिंग के दौरान 88.33 प्रति डॉलर तक फिसल गया। यह पिछले शुक्रवार को छुए गए 88.3075 के रिकॉर्ड को भी पार कर गया।
अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले ने भारत के व्यापार और वित्तीय स्थिति पर चिंता और गहरा दी है। इसके चलते बाज़ार में निवेशकों की धारणा कमजोर बनी हुई है।
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने भी रुपये को वैश्विक रिज़र्व करेंसी बनने की संभावना को खारिज किया। उन्होंने कहा “बहुत सी बातें हैं जिनकी मुझे चिंता है, लेकिन रुपये का रिज़र्व करेंसी बनना उनमें शामिल नहीं है।”
एलकेपी सिक्योरिटीज़ के वीपी रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी और करेंसी) जतीन त्रिवेदी ने कहा “अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत का राजकोषीय घाटा और बढ़ने की आशंका है। जीएसटी काउंसिल का आगामी फैसला कुछ सहारा दे सकता है, लेकिन तब तक सेंटिमेंट कमजोर रहेगा। रुपया निकट भविष्य में 87.65–88.45 की रेंज में रह सकता है।”
Leave a Reply