ट्यूमर 80% तक सिकुड़े
कैंसर के इलाज में एक बड़ी उम्मीद जगाते हुए रूस के वैज्ञानिकों ने एंटरोमिक्स (Enteromix) नामक mRNA आधारित वैक्सीन विकसित की है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स में इस वैक्सीन ने सभी सुरक्षा मानकों और प्रभावशीलता की कसौटी पर खरी उतरी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इससे कई मामलों में ट्यूमर का आकार 60% से 80% तक सिकुड़ गया या उसकी वृद्धि रुक गई।
एंटरोमिक्स वैक्सीन
एंटरोमिक्स वैक्सीन का विकास रूस के प्रमुख रिसर्च संस्थानों गमालेया रिसर्च सेंटर, राडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर और एंगेलहार्ट इंस्टीट्यूट ऑफ़ मॉलीक्यूलर बायोलॉजी ने संयुक्त रूप से किया।
इस वैक्सीन पर लगभग तीन साल तक लगातार प्रीक्लिनिकल रिसर्च और ट्रायल्स किए गए।
AI तकनीक की मदद से वैक्सीन का जेनेटिक ब्लूप्रिंट केवल 30–60 मिनट में तैयार किया गया, जो इसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में तेजी और पर्सनलाइजेशन की क्षमता देता है।
कैसे काम करती है mRNA तकनीक
mRNA प्लेटफॉर्म शरीर की कोशिकाओं को निर्देश देता है कि वे कैंसर जैसी दिखने वाली प्रोटीन तैयार करें। जैसे ही यह प्रोटीन बनता है, प्रतिरक्षा प्रणाली इसे खतरे का संकेत मानकर सक्रिय हो जाती है और कैंसर कोशिकाओं पर हमला करती है।
इस प्रक्रिया में टी-सेल्स और एंटीबॉडीज़ तैयार होती हैं, जो लगातार कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उन्हें नष्ट करती हैं और नए ट्यूमर बनने से रोकती हैं।
प्रीक्लिनिकल ट्रायल और नतीजे
- ट्यूमर सिकुड़ाव: 60% से 80% तक।
- सुरक्षा: बार-बार खुराक देने पर भी कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं।
- कैंसर प्रकार: कोलोरेक्टल कैंसर पर मुख्य फोकस; भविष्य में ग्लियोब्लास्टोमा, मेलेनोमा और ऑक्यूलर मेलेनोमा पर विस्तार।
- समय: 3 साल तक लगातार परीक्षण।
- प्रभाव: कई मामलों में ट्यूमर का पूर्ण रूप से खत्म होना भी रिपोर्ट हुआ।
वैक्सीन का ऐलान रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में किया गया। इस इवेंट में 75 से अधिक देशों के 8,400 से अधिक प्रतिनिधि मौजूद थे।
रूस ने इसे कैंसर उपचार में ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि यह लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण साबित हो सकती है।
क्लिनिकल ट्रायल्स और आगे की योजना
- Phase I: जून 2025 में शुरू, 48 स्वयंसेवकों पर परीक्षण
- नियामक मंजूरी: सितंबर–अक्टूबर 2025 तक शुरुआती मरीजों को वैक्सीन देना संभव
- लक्ष्य कैंसर: कोलोरेक्टल, ब्रेन, स्किन और आंखों से संबंधित कैंसर
- वितरण: रूसी नागरिकों के लिए मुफ्त, अनुमानित लागत ~300,000 रूबल प्रति डोज़
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इंसानों पर होने वाले क्लिनिकल ट्रायल भी सफल रहते हैं, तो यह वैक्सीन कई प्रकार के घातक कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
सामान्य टीके वायरस और बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन कैंसर वैक्सीन का मकसद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित करना है।
सरल शब्दों में कहा जाए, तो यह वैक्सीन शरीर की “सुरक्षा सेना” को कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रशिक्षित करती है ताकि वह लगातार उनका सफाया करती रहे।













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