खुद के खर्च पर बिछाई 3 किमी. पेयजल पाइप लाइन
अभिरेख अरुणाभ
उत्तरकाशी जनपद के डुण्डा विकासखण्ड के ग्राम पनोथ ने प्रशासन की उदासीनता को आईना दिखाया है। जल जीवन मिशन के तहत 135 परिवारों के पनोथ गाँव में 1.69 करोड़ रुपए की योजना के तहत 91 पेयजल कनेक्शन दिए गए थे।
अब ग्रामीण सोच रहे थे उनकी पानी की समस्या समाप्त हो जाएगी। लेकिन, सरकारी तंत्र की अविवेकशीलता और अदूरदर्शिता की वजह से ग्रामीणों की पानी की समस्या जस की तस है।
असल में ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया था कि उनके गाँव के नीचे एक जल स्रोत है जिसमें 12 माह पर्याप्त पेयजल उपलब्ध रहता है। उस पानी को लिफ्ट करके पानी के टैंक में भरकर सम्पूर्ण ग्रामीण क्षेत्र में पानी पहुंचाया जा सकता है।
लेकिन, अधिकारियों ने ग्रामीणों के सुझाव और मांग को दरकिनार करके गाँव से कुछ किमी. दूर खिलाखाल के बरसाती गदेरे को जल स्रोत के रूप में चुना। इस बरसाती गदेरे में वर्ष भर पानी रहता ही नहीं है।
केवल साल के 6-7 माह ही पानी रहता है, वह भी गंदा क्योंकि यह वर्षा जलपर निर्भर है। इस वजह से जल जीवन मिशन के तहत 1.69 करोड़ में स्थापित की गई जल व्यवस्था ठप्प हो गई।
पिछले कई हफ्तों से ग्रामीण पानी की भीषण समस्या से जूझ रहे थे क्योंकि जल जीवन मिशन के तहत चिन्हित खिलाखाल का गदेरा आजकल सूख गया था।
जब ग्रामीण अपनी समस्या के निदान के लिए अधिकारियों से गुहार लगा-लगाकर थक गए और प्रशासन का रुख उदासीन बना रहा। तब ग्रामीणों ने आपस में धन एकत्र करके पास के एक जल स्रोत तक पानी की एक अस्थाई लाइन बिछा दी। जिससे फिलहाल उनकी समस्या कुछ कम हो गई है।
ग्रामीणों के इस अदम्य साहस और नई पहल को प्रोत्साहित करने के लिए ‘गाँव बचाओ आन्दोलन’ (ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए एकजुट हुए गाँवों का जन संगठन) ने उन्हें अपने स्तर से सम्मानित किया और जल निगम तथा जल संस्थान के इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में चल रहे डांग गाँव के ग्रामीणों के सत्याग्रह जन आन्दोलन में शामिल होने का आमंत्रण भी दिया।
पनोथ के ग्रामीणों ने ‘गाँव बचाओ आन्दोलन’ (ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए एकजुट, हुए गाँवों का जनसँगठन) की ओर से भ्रष्टाचार के विरुद्ध शुरु की किए गए इस संघर्ष में सहर्ष शामिल होने के लिए अपनी सहमति भी दे दी।
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन ग्रामीण एकता को नजरअन्दाज करता है, या भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करता है। और ग्रामीण जनता की मूलभूत पानी की समस्या को समाप्त करता है।