उत्तराखंड में एक सौ बीस दिन

डाॅ. अतुल शर्मा

उत्तराखण्ड में एक सौ बीस दिन प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुन्दर लाल बहुगुणा द्वारा लिखित एक ऐसी पुस्तक है, जिसमें उत्तराखण्ड पर लिखे जीवंत लेख हैं। स्व. सुन्दर लाल बहुगुणा ने अपनी यात्राओं तथा पद्यात्राओं के दौरान जो लेख लिखे, वे पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे। पुस्तक में प्रकाशित ‘दो शब्द’ के अंतर्गत मधु पाठक ने लिखा है कि यह पुस्तक 1974 में पर्वतीय नव जीवन मंडल ने पहली बार प्रकाशित की।

उत्तराखंड में एक सौ बीस दिन

पुस्तक में संस्मरण लेख माला के अंतर्गत यात्रा संस्मरण छपे हैं। जिनमें एक पद यात्रा का शुभारंभ ‘मेरा गाँव कुछ अज्ञात सौंदर्य स्थल’, ‘उत्तराखंड के अगम्य क्षेत्रों में फिसलते हुए पहाड़, ‘हम कहाँ रहेंगे’, ‘भूले बिसरे वन श्रमिक’, ‘संपन्न तराई के विपन्न लोग’, ‘युवा पीढ़ी की जय हो’, ‘एक पदयात्रा की परिसमाप्ति’, ‘स्वामी राम तीर्थ जी का संदेश’, ‘पहाड़ों का विकास और जनशक्ति’, ‘पहाड़ों का विकास और रचनात्मक कार्यक्रम, ‘पर्वतीय विकास मे युवाओं का योगदान’, ‘माताओं के चरणों में’, ‘चिपको आन्दोलन’, ‘अस्कोट से आराकोट जर्मनी और उत्तराखंड के देहात’, पद यात्रा के पड़ाव इसमें पत्रकार कुंवर प्रसून द्वारा लिखा लेख एक सौ बीस दिनों की उत्तराखंड यात्रा शामिल हैं।

https://regionalreporter.in/badrinath-rishikesh-national-highway/

उत्तराखंड की बहुत गहरी पड़ताल और सच को उकेरती यह पुस्तक पठनीय तो है ही साथ ही सार्थकता लिये हुए है। गम्भीर लेख और संस्मरण एक सच्चा दृश्य प्रस्तुत कर रहे हैं।

लेख एक अज्ञात सौंदर्य स्थल में उन्होंने कौड़िया और धनौल्टी, लाखामंडल, राम सियांग, नचिकेता ताल, सुख ताल, धर्म धर चंडाक गढ़वाल के सौंदर्य स्थल के बारे में जरुरी और आंखों देखी जानकारी दी हैं।

साथ ही अन्य तमाम संस्मरण आज के पहाड़ों की जरुरतों और समस्याओं का खुल कर वर्णन किया है। इससे ऐसे रास्तों का भी ज्ञान होता है जो आज की परिस्थितियों मे जरुरी हैं। बहुगुणा जी लिखते है ”कि हिमालय विविध प्रकार की प्रतिभा वाले आजीवन सेवकों का आह्वान कर रहा है।“

https://youtube.com/shorts/eAT_QnY2otM?si=8r-95kIbCemRsgdi

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