सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार, 01 मई को एक अहम आदेश में कहा है कि, ताजमहल के पांच किमी. के दायरे में बिना पूर्व अनुमति के कोई भी वृक्ष नहीं काटा जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह नियम चाहे सरकारी भूमि हो या निजी—सभी पर समान रूप से लागू होगा।
8 मई 2015 का मूल आदेश लागू रहेगा- सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने यह निर्णय सुनाते हुए 2015 में दिए गए निर्देशों को पुनः लागू किया। इस आदेश का मुख्य उद्देश्य ताजमहल के आसपास के वातावरण और हरित क्षेत्र की रक्षा करना है।
पीठ ने कहा, “ताजमहल के 5 किमी. के भीतर मौजूद क्षेत्रों के संबंध में, 8 मई, 2015 का मूल आदेश लागू रहेगा। ऐसे मामलों में, पेड़ों की कटाई की अनुमति के लिए आवेदन करना होगा, भले ही पेड़ों की संख्या 50 से कम हो। यह अदालत केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति से अनुशंसा मांगेगी और उसके बाद पेड़ों की कटाई पर विचार करेगी।”
इसमें कहा गया है, ‘जब तक पेड़ों को काटने की बहुत आवश्यकता न हो, तब तक प्रभागीय वन अधिकारी को यह शर्त लगानी होगी कि वास्तविक पेड़ों की कटाई तभी की जा सकती है, जब प्रतिपूरक वनरोपण समेत अन्य सभी शर्तों का अनुपालन किया जाए।’
आदेश का विस्तार
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में लागू होगा, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, एटा, हाथरस और राजस्थान के भरतपुर को कवर करता है।
विशेष रूप से, ताजमहल से पांच किलोमीटर के भीतर वृक्षों की कटाई तभी की जा सकेगी जब सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति प्राप्त हो।
यदि कोई संस्था या व्यक्ति 50 से कम पेड़ों को काटना चाहता है, तब भी यह नियम लागू होगा और केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की सिफारिश आवश्यक होगी। वहीं, पांच किमी. से बाहर के क्षेत्रों में कटाई के लिए वन विभाग की अनुमति अनिवार्य रहेगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए वृक्षों की गणना और पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन आवश्यक है। इसके लिए वन अनुसंधान संस्थान (FRI) को निर्देशित किया गया है कि वह पूरे TTZ में पेड़ों की गिनती कर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
आपातकालीन स्थिति में छूट
केवल उन्हीं मामलों में तत्काल कटाई की अनुमति दी जा सकती है, जहां किसी वृक्ष से सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा हो—जैसे गिरने की आशंका। परंतु ऐसे मामलों में भी बाद में पूरी जानकारी कोर्ट को देनी होगी।
कोर्ट ने आगरा के एक ट्रस्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें निजी भूमि पर पेड़ों की कटाई के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता को हटाने की मांग की गई थी। अदालत ने स्पष्ट कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी पर समान नियम लागू होंगे।
ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ)-
टीटीज़ेड (Taj Trapezium Zone) एक पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ecologically sensitive zone) है जिसे ताजमहल और उसके आसपास के स्मारकों को प्रदूषण से बचाने के लिए बनाया गया था।
यहाँ टीटीज़ेड से जुड़ी मुख्य बातें दी गई हैं:
- स्थापना: टीटीज़ेड की स्थापना 1996 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर की गई थी।
- क्षेत्रफल: यह क्षेत्र लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसमें उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, इटावा और राजस्थान के भरतपुर जिले शामिल हैं।
- उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य ताजमहल को वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाना है, क्योंकि प्रदूषण के कारण ताजमहल की सफेद संगमरमर पर पीले दाग पड़ने लगे थे।
- नियम और प्रतिबंध: इस क्षेत्र में कोयला और कोक का उपयोग करने वाली फैक्ट्रियों पर प्रतिबंध है, और केवल पर्यावरण के अनुकूल ईंधनों (जैसे प्राकृतिक गैस) के उपयोग की अनुमति है। साथ ही, वाहनों और निर्माण कार्यों पर भी विशेष नियम लागू होते हैं।
- महत्व: यह जोन भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए एक अहम कदम है
- इसमें तीन विश्व धरोहर स्थल ताजमहल , आगरा किला और फतेहपुर सीकरी सहित कई स्मारक शामिल हैं।
