तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 30 सितंबर को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को फटकार लगाते हुए कहा कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर दो महीने बाद बयान क्यों दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रसाद में मिलावट बहुत ही चिंताजनक है। जांच जारी है तो आंध्र प्रदेश के सीएम ने बयान क्यों दिया? ये श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है। कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखें। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं सहित सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख तय की है।
कोर्ट ने उठाया सवाल
जस्टिस बीआर गवई ने आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं, तो आपसे यह उम्मीद की जाती है कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाएगा।” कोर्ट ने यह भी पूछा, कि आपने 26 सितंबर को SIT बनाई, लेकिन बयान उससे पहले ही दे दिया। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि आप कह सकते थे कि पिछली सरकार में घी का टेंडर गलत आवंटित हुआ, सीधे प्रसाद पर ही सवाल उठा दिया।
आंध्र प्रदेश CM पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के सार्वजनिक बयान पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि जब घी में जानवर की चर्बी मिलने की पुष्टि नहीं हुई थी और मामले की जांच चल रही थी तो इसे मीडिया में ले जाने की क्या जरूरत थी। कोर्ट ने कहा कि जब तक आप खुद इस मामले में कंफर्म नहीं थे तो फिर इसपर सार्वजनिक बयान क्यों दिया।
जब लूथरा ने कोर्ट को बताया कि लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद ठीक नहीं था, तो कोर्ट ने पूछा, “जिस लड्डू का स्वाद अलग था, क्या उसे लैब में यह पता लगाने के लिए भेजा गया था कि उसमें दूषित पदार्थ तो नहीं है ?”
जस्टिस विश्वनाथन ने तब पूछा, “क्या विवेक यह नहीं कहता कि आप दूसरी राय लें? सामान्य परिस्थितियों में, हम दूसरी राय लेते हैं। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था।”
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