- प्रधानमन्त्री का आरोप, अंतरिम सरकार पर कूटनीतिक दबाव
- पूर्व प्रधानमंत्री ने फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया, अवामी लीग को निशाना बनाने का आरोप
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हाल ही में इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश (ICT-BD) द्वारा मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है।
यह फैसला उनके समर्थकों और आलोचकों के बीच नए राजनीतिक और दूटनीतिक तनाव का कारण बन गया है। हसीना ने इसे एक “धांधली न्यायाधिकरण” द्वारा दिया गया फैसला कहा है।
उन्होंने कहा कि जिस अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने उन्हें सजा सुनाई है, वह मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अनिर्वाचित और लोकतांत्रिक जनादेश से वंचित सरकार द्वारा बनाया गया है, जिसका मकसद न्याय नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध है।
कोर्ट का फैसला
आईसीटी-1 ने हसीना को पांच धाराओं में दोषी ठहराया है, जिसमें “mass killings के लिए उत्तेजना देना, आदेश जारी करना, और superior command responsibility” शामिल हैं।
ट्रिब्यूनल ने उन्हें कुछ दोषों पर “natural death तक जेल”, जबकि अन्य गंभीर आरोपों पर मृत्युदंड की सज़ा सुनाई है।
साथ ही, उनके और अन्य दोषियों की संपत्ति बांग्लादेश सरकार के नाम जब्त करने का आदेश भी दिया गया है।
इससे पहले, जुलाई 2025 में उसी ट्रिब्यूनल ने हसीना को इंटरनेट कॉल रिकॉर्डिंग के चलते अदालत की अवमानना (contempt of court) के आरोप में 6 महीने की सज़ा दी थी।
यूनुस सरकार: “कानून से ऊपर कोई नहीं”
मोहम्मद यूनुस, जो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार हैं, ने ICT के फैसले का समर्थन करते हुए कहा है कि यह फैसला यह संदेश देता है कि “कानून के सामने सभी समान हैं।”
यूनुस ने यह भी कहा कि अब यह तय हो गया है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।
उनका यह बयान इस बात की ओर संकेत करता है कि सरकार इसे न्याय और जवाबदेही की स्थापना का कदम मानती है।
भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण मांग और कानूनी जटिलताएं
मृत्युदंड की सजा के बाद, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने तुरंत भारत से हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग की है। इसके पीछे वह 2013 की प्रत्यर्पण संधि का हवाला दे रही है।
लेकिन भारत-बांग्लादेश के बीच यह मामला बहुत सरल नहीं है। भारत में विशेषज्ञ यह मानते हैं कि उस संधि में कुछ शर्तें हैं जो प्रत्यर्पण को सीमित करती हैं — खासकर “राजनीतिक कारणों” को लेकर।
इस बीच, भारत पर कूटनीतिक दबाव बढ़ने लगा है क्योंकि बांग्लादेश सरकार यह रुख अपना रही है कि भारत में रह रही हसीना को वापस भेजना उनकी “अनिवार्य जिम्मेदारी” है।
















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