मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन प्रभावित
21 मई को द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए हैं। हजारों श्रद्धालू द्वितीय केदार के दर्शन के लिए धाम आ रहे हैं परंतु यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय पर प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है।
केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम में यदि प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील दे तो मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों का चहुंमुखी विकास होने के साथ मदमहेश्वर घाटी आने वाले तीर्थ – यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही में भारी इजाफा हो सकता है।
मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ाव कूनचटटी, मौखम्बा, नानौ, खटारा यात्रा पड़ावों पर विधुत, संचार, यातायात, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।

मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों पर पेयजल आपूर्ति करने वाले मुख्य जल स्रोत के जल स्तर में भारी गिरावट आने से भविष्य में मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों पर जल संकट गहरा सकता है।
गौण्डार गांव के पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर धाम सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने से मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने बताया कि तीर्थ यात्री रात्रि प्रवास करने के मकसद से पहुंचता है मगर यात्रा पड़ाव खटारा, नानौ, मैखम्बा, कूनचटटी व मदमहेश्वर धाम में विद्युत व संचार जैसी मूलभूत सुविधायें उपलब्ध न होने से वह एक ही रात्रि में मदमहेश्वर घाटी को अलविदा कह देता है।
बदरी-केदार मन्दिर समिति पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में छूट देने का प्रयास करती है तो मदमहेश्वर घाटी का चहुंमुखी विकास होने से स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा हो सकता जिससे स्थानीय युवाओं के सन्मुख स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकतें हैं।
मदमहेश्वर धाम के व्यापारी शिवानन्द पंवार का कहना है कि मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत रासी – मनणामाई, मदमहेश्वर – पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड,मदमहेश्वर – बूढा़ मदमहेश्वर, बुरूवा – बिसुणाताल, गडगू – ताली, मनसूना – देवरिया ताल, राऊलैंक – कालीशिला को जोड़ने वाले पैदल ट्रैकों को विकसित करने की पहल यदि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग करता है तो मदमहेश्वर घाटी का चहुंमुखी हो सकता है तथा गांवों से होने वाले पलायन पर रोक लगने के साथ स्थानीय उत्पादो को भी बढावा मिलेगा।
मदमहेश्वर विकास मंच पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि मदमहेश्वर घाटी में तीर्थाटन – पर्यटन की अपार सम्भावनाएं है तथा मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत हर तीर्थ व पर्यटक स्थल का व्यापक प्रचार – प्रसार होता है तो निश्चित ही क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हो सकता है।

आजादी के बाद पहली बार यातायात से जुड़ने जा रहा गौण्डार गांव
राज्य योजना के अन्तर्गत निर्माणाधीन अकतोली – गौण्डार 6 किमी मोटर मार्ग के निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। निर्माणाधीन मोटर का अधिकांश भूभाग कठोर चट्टानो से होने के कारण लोक निर्माण विभाग द्वारा बडी चुनौतियों का सामना कर मोटर मार्ग का निर्माण किया जा रहा है।
मदमहेश्वर यात्रा के आधार शिविर व सीमान्त गांव गौण्डार आजादी के बाद पहली बार यातायात से जुड़ने से ग्रामीणो मे भारी उत्साह बना हुआ है।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियो के अनुसार गौण्डार गांव तक मोटर मार्ग के पहुंचने मे 5-6 माह का समय लग सकता है।
मदमहेश्वर यात्रा के आधार शिविर गौण्डार गांव के यातायात से जुड़ने से मदमहेश्वर धाम पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियो की संख्या मे भारी इजाफा होने के साथ स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय मे भी इजाफा होगा तथा मदमहेश्वर घाटी पहुंचने वाले पर्यटक, सैलानी अन्य पर्यटक स्थलो की खूबसूरती से भी रूबरू होगे।

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