अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से चली आ रही व्यापार समझौते की बातचीत अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि “हम भारत के साथ डील के बेहद करीब हैं।” हालांकि, उनके इस बयान के साथ एक स्पष्ट चेतावनी भी जुड़ी थी, जो व्यापारिक रिश्तों में संभावित तनाव की ओर इशारा करती है।
पत्र भेजूंगा तो समझौता हो जाएगा: ट्रंप
16 जुलाई को ट्रंप ने बहरीन के क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा के साथ वाइट हाउस में बैठक के दौरान एक प्रेस बातचीत में कहा, “हमने कई बेहतरीन देशों के साथ समझौते किए हैं और अब भारत के साथ भी एक बड़ा समझौता हो सकता है। जब मैं पत्र भेजूंगा, तो समझौता हो जाएगा। यह सबसे अच्छा तरीका है। पत्र में लिखा होगा कि आप 30%, 25% या 20% टैरिफ देंगे।”
इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका की ट्रेड नीति अब ‘सीधी बात और स्पष्ट शर्तों’ के आधार पर चलेगी।
भारत पर टैरिफ: चेतावनी और डेडलाइन
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने 2 अप्रैल को 100 से अधिक देशों पर भारी टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जिसमें भारत भी शामिल था। भारत पर 10% के बेसलाइन टैरिफ के साथ-साथ 26% तक के अतिरिक्त शुल्क लगाए गए। हालांकि 9 जुलाई तक इस पर अंतरिम रोक लगाई गई थी, लेकिन उस दौरान भी 10% टैरिफ जारी रहा।
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट कहा था कि, “भारत किसी भी डेडलाइन के दबाव में समझौता नहीं करेगा। हमारी प्राथमिकता है कि कोई भी डील दोनों देशों के हित में हो।”
अब ट्रंप ने कई देशों को 1 अगस्त तक की नई डेडलाइन दी है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि भारत को भी कुछ और समय मिल सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच मुख्य विवाद
- कृषि उत्पाद: अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन और अन्य अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाए। लेकिन भारत इस पर तैयार नहीं है क्योंकि यह स्थानीय किसानों की जीविका को प्रभावित कर सकता है।
- डेयरी सेक्टर: भारत का डेयरी उद्योग करीब 8 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, ऐसे में अमेरिका की मांगों को मानना राजनीतिक और आर्थिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है।
- ई-कॉमर्स और डेटा लोकलाइजेशन: अमेरिका चाहता है कि भारत डेटा लोकलाइजेशन पर ढील दे, जबकि भारत की नीति इसे देश की डिजिटल संप्रभुता से जोड़ती है।
- मेडिकल डिवाइसेस और आईटी प्रोडक्ट्स: अमेरिका कुछ विशेष प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क में छूट चाहता है, जबकि भारत घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इन पर टैरिफ बनाए रखना चाहता है।
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