बिना मंजूरी वाले ऑनलाइन और हाइब्रिड एलएलएम मान्य नहीं: BCI

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने देश भर में चल रहे ऑनलाइन और हाइब्रिड (ऑनलाइन-ऑफलाइन मिश्रित) एलएलएम (मास्टर ऑफ लॉ) पाठ्यक्रमों पर सख्त रुख अपनाते हुए इन्हें अनधिकृत और गैर-मान्यता प्राप्त घोषित किया है।

BCI ने स्पष्ट किया कि इसकी पूर्व स्वीकृति के बिना चलाए जा रहे ऐसे पाठ्यक्रमों की कोई वैधानिक मान्यता नहीं होगी और इन्हें शैक्षणिक, पेशेवर, या न्यायिक सेवाओं में अवैध माना जाएगा।

न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता में जारी परामर्श

यह परामर्श दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और बीसीआई की कानूनी शिक्षा स्थायी समिति के सह-अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजेंद्र मेनन द्वारा तैयार किया गया है। इसे 25 जून को सभी उच्च न्यायालयों, राज्य बार काउंसिलों और विश्वविद्यालयों को भेजा गया।

इसमें कहा गया है कि “ऑनलाइन, दूरस्थ, मिश्रित या हाइब्रिड माध्यम से या ‘एलएलएम (प्रोफेशनल)’, ‘एग्जीक्यूटिव एलएलएम’, या ‘एमएससी (लॉ)’ जैसे भ्रामक नामों के तहत पेश किए जा रहे पाठ्यक्रम बिना BCI की मंजूरी के पूरी तरह अवैध माने जाएंगे।”

इन पाठ्यक्रमों की मान्यता खारिज

BCI का कहना है कि ये पाठ्यक्रम न केवल अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 7(1)(ह) और 49(1)(af) का उल्लंघन करते हैं, बल्कि ये कानूनी शिक्षा नियम, 2008 और 2020, तथा UGC के ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) विनियम 2020 के भी प्रतिकूल हैं।

BCI के अनुसार, इन पाठ्यक्रमों की वैधता न होने के चलते किसी भी प्रकार की नौकरी या अकादमिक नियुक्ति, शोध पंजीकरण या न्यायिक सेवा और विभागीय पदोन्नति को अमान्य माना जाएगा। ऐसे उम्मीदवारों की डिग्री “शुरुआत से ही शून्य और अमान्य” मानी जाएगी।

संस्थानों को नोटिस, छात्रों को चेतावनी

BCI ने कई नामी संस्थानों—जैसे NLIU भोपाल, O.P. Jindal Global University, IIT खड़गपुर, NLU दिल्ली को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और इन पाठ्यक्रमों को तत्काल बंद करने का निर्देश दिया है।

इसके साथ ही, BCI ने छात्रों और अभिभावकों को इस तरह के पाठ्यक्रमों में प्रवेश न लेने की चेतावनी दी है। परिषद ने कहा कि वह सार्वजनिक नोटिस और कानूनी कार्रवाई के माध्यम से इस स्थिति से निपटेगा। यदि कोई उम्मीदवार ऐसी डिग्री का हवाला देता है तो उसे गलत बयानी माना जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

उच्च न्यायालयों से सहयोग की अपील

BCI ने सभी उच्च न्यायालयों से अपील की है कि वे इस परामर्श को न्यायिक संज्ञान में लें और यह निर्देश जारी करें कि किसी भी उम्मीदवार को जो एलएलएम या समकक्ष डिग्री के आधार पर नियुक्ति या पदोन्नति चाहता है, उसे BCI की स्वीकृति प्रमाणित करनी होगी।

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