उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय खेलों के दौरान बड़ा डोपिंग मामला सामने आया है। नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) द्वारा की गई जांच में 11 खिलाड़ियों के सैंपल डोप टेस्ट में फेल हो गए हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से ज्यादातर खिलाड़ी पदक विजेता हैं, जिन्होंने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक अपने नाम किए थे।
जानकारी के अनुसार, ये खिलाड़ी विभिन्न राज्यों से हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से बताई जा रही है।
हालांकि NADA की ओर से खिलाड़ियों के नाम औपचारिक रूप से सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इनमें कुछ चर्चित नाम भी शामिल हैं।
खिलाड़ियों पर कार्रवाई तय
NADA के नियमों के अनुसार, डोपिंग में फंसे खिलाड़ियों पर प्रतियोगिता से अयोग्य घोषित किए जाने के साथ-साथ उनके पदक भी छीने जा सकते हैं।
इसके अलावा, उन्हें आगामी प्रतियोगिताओं में भाग लेने से भी प्रतिबंधित किया जा सकता है। कुछ मामलों में खिलाड़ियों के कोच और संबंधित संघों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
डोपिंग कांड के बाद खेलों के आयोजन की पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। उत्तराखंड राज्य खेल प्राधिकरण ने पूरे मामले की गंभीरता से जांच कराने की बात कही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, “डोपिंग के खिलाफ हमारी ज़ीरो टॉलरेंस नीति है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
क्या है डोपिंग
डोपिंग (Doping) का मतलब होता है किसी खिलाड़ी द्वारा ऐसे प्रतिबंधित दवाओं या रासायनिक पदार्थों का सेवन करना, जो उसकी खेल प्रदर्शन (performance) को असामान्य रूप से बेहतर बना दें। ये दवाएं शरीर की ताकत, स्टैमिना (stamina), एकाग्रता (focus), और रिकवरी (recovery) की क्षमता को अस्थायी रूप से बढ़ा देती हैं।
डोपिंग के प्रकार:
- एनाबॉलिक स्टेरॉयड्स (Anabolic steroids): मांसपेशियाँ तेजी से बढ़ाने के लिए।
- स्टिमुलेंट्स (Stimulants): थकावट कम करने और फोकस बढ़ाने के लिए।
- ईपीओ (EPO – Erythropoietin): खून में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता बढ़ाने के लिए।
- हॉर्मोन्स (जैसे HGH): शरीर की वृद्धि और ताकत को तेज़ी से बढ़ाने के लिए।
डोपिंग क्यों की जाती है?
- जीतने का दबाव
- नाम, शोहरत और पैसा कमाने की चाह
- जल्दी चोट से उबरने की कोशिश
- दूसरों से पीछे न रहने का डर
डोपिंग क्यों गलत है?
- ये खेल की भावना के खिलाफ है (अनैतिक है)।
- इससे खिलाड़ियों की सेहत को गंभीर खतरे हो सकते हैं – दिल की बीमारियाँ, लीवर डैमेज, मानसिक समस्याएं आदि।
- पकड़े जाने पर खिलाड़ी को बैन, जुर्माना और बदनामी का सामना करना पड़ता है।