80 साल बाद भी गूंजता दर्द
6 अगस्त 2025 को जापान के हिरोशिमा शहर में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 1945 में गिराए गए “लिटिल बॉय” परमाणु बम की 80वीं बरसी पर स्मृति समारोह आयोजित हुआ।
इस मौके पर जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा, हिरोशिमा के मेयर कज़ुमी मत्सुई और दुनिया भर से आए 120 देशों के प्रतिनिधियों ने श्रद्धांजलि दी। सुबह 08:15 बजे (हमले का सटीक समय) शांति घंटी बजाई गई और एक मिनट मौन रखा गया।
6 अगस्त 1945 की वह सुबह
6 अगस्त 1945 की सुबह अमेरिकी बमवर्षक विमान Enola Gay ने हिरोशिमा पर 15 किलो टन TNT क्षमता वाला परमाणु बम “लिटिल बॉय” गिराया।
धमाके से लगभग 70,000 लोग तुरंत मारे गए और वर्ष के अंत तक यह संख्या 1,40,000 तक पहुंच गई। शहर का 70% हिस्सा पूरी तरह नष्ट हो गया। यह घटना मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी और भयावह घटनाओं में से एक बनी।
परमाणु बम हमले के जीवित बचे लोगों को जापान में “हिबाकुशा” कहा जाता है। इस समय उनकी औसत आयु 86 वर्ष से अधिक है और उनकी संख्या तेजी से घट रही है।
94 वर्षीय जीवित बचे मिनोरू सुज़ुटो ने समारोह में कहा, “कुछ दशकों बाद हम में से कोई नहीं बचेगा, इसलिए यह ज़रूरी है कि हमारी पीड़ा और सबक दुनिया तक पहुंचे।”
मेयर और प्रधानमंत्री की चेतावनी
हिरोशिमा के मेयर कज़ुमी मत्सुई ने कहा कि यूक्रेन और मध्य पूर्व में जारी तनाव यह साबित करता है कि दुनिया ने परमाणु हथियारों की त्रासदी से कोई सबक नहीं लिया। प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने कहा कि जापान परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयासों में नेतृत्व की भूमिका निभाता रहेगा, भले ही वह परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध संधि का हिस्सा न हो।
परमाणु हथियारों के खतरे पर वैश्विक चिंता
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने अपने संदेश में कहा कि “हिरोशिमा केवल एक शहर का नाम नहीं है, यह मानवता की सबसे बड़ी चेतावनी है।
बीते साल परमाणु उन्मूलन के लिए काम करने वाले संगठन निहोन हिडानक्यो को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस संगठन में परमाणु बम हमले में बचे लोग सदस्य हैं।
संगठन ने एक बयान में कहा कि “हमारे पास अब बहुत ज्यादा समय नहीं बचा है, जबकि हम पहले से ज्यादा बड़े परमाणु युद्ध के खतरे का सामना कर रहे हैं। अब हमारी सबसे बड़ी चुनौती उन परमाणु हथियार संपन्न देशों को बदलना है जो हमें अनदेखा करते हैं।”

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