उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कूड़ा बीनने वालों को प्रोत्साहन राशि देने व उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिये समुचित योजना बनाने के निर्देश नगर निगम देहरादून को दिए हैं।
मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक नेहरा की खंडपीठ ने नगर निगम देहरादून सहित, शिक्षा विभाग, शहरी विकास विभाग, पंचायतीराज विभाग को भी कई दिशा-निर्देश दिए है।
इसके साथ ही कोर्ट ने शिक्षा विभाग, नगर निगम देहरादून, शहरी विकास और पंचायती राज विभाग को 13 मई तक कार्रवाई की रिपोर्ट सौपने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान नगर निगम देहरादून के उपायुक्त की ओर से बताया गया कि नगर निगम बोर्ड के समक्ष कूड़ा बीनने वालों (रैग पिकर्स) के लिए एक योजना प्रस्तावित की जाएगी।
इस सूची में 463 रैग पिकर्स के नाम शामिल है। इस योजना के तहत रैग पिकर्स को न केवल न्यूनतम वेतन मिलेगा, बल्कि उनके लिए सुरक्षा उपकरण जैसे जूते, दस्ताने और फेस मास्क भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
चार बिन नीति करें लागू : उत्तराखंड हाईकोर्ट
कोर्ट ने सुझाव दिया कि नगर निगम न्यूनतम वेतन के अतिरिक्त, रैग पिकर्स को प्रोत्साहन राशि भी दे सकता है। यह प्रोत्साहन राशि गीले, सूखे, प्लास्टिक और ई-वेस्ट के प्रति किलोग्राम संग्रह पर आधारित हो सकती है।
कूड़ा प्रबन्धन के लिये हाईकोर्ट ने नगर निगम देहरादून को चार बिन नीति लागू करने का निर्देश दिया है, जिसमें प्रत्येक घर में चार प्रकार के कूड़ेदान होने चाहिए। इनमें गीले कचरे के लिए एक, सूखे कचरे (धातु, कांच, लकड़ी आदि) के लिए दूसरा, प्लास्टिक कचरे के लिए तीसरा व ई-वेस्ट के लिए चौथा बिन होगा।
नगर निगम को यह भी निर्देश दिए गए कि घरों में कचरे को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जाए और जो लोग इसका पालन न करें, उन पर जुर्माना लगाया जाए।
इसके साथ ही इस व्यवस्था को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाए। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि स्कूलों में स्वच्छता व कूड़ा प्रबंधन पर विशेष कार्यक्रम शुरू किए जाएं।
इसी तरह, शहरी विकास और पंचायती राज विभाग को भी इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए कदम उठाने को कहा गया है।
कोर्ट ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया है कि सभी पर्यटकों और यात्री वाहनों में कूड़ा रखने के लिए डस्टबिन या पेपर बैग अनिवार्य किए जाएं ताकि सड़कों पर कूड़ा न फेंका जाए।