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इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन का निधन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने बेंगलुरु स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली।

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डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने रचा इतिहास

पूर्व इसरो प्रमुख कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में सी. एम. कृष्णास्वामी अय्यर और विशालाक्षी के घर हुआ था। 1994 से 2003 तक इसरो के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। कस्तूरीरंगन 2003 से 2009 तक राज्यसभा के सदस्य रहे।

भारत के तत्कालीन योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं। उनके नेतृत्व में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कई अहम उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें PSLV और GSLV जैसे प्रक्षेपण यान शामिल हैं।

 इसरो के अध्यक्ष बनने से पहले डॉ. कस्तूरीरंगन इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, जहां उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (आईआरएस-1ए और आईआरएस-1बी) जैसे अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यान के विकास का नेतृत्व किया। उपग्रह आईआरएस-1ए के विकास में उनका योगदान भारत की उपग्रह क्षमताओं के विस्तार में महत्वपूर्ण था।

इसरो से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मसौदा समिति के अध्यक्ष रहे और इस नीति के निर्माण में उनका योगदान ऐतिहासिक माना जाता है।

उनके अन्य प्रमुख पदों में राज्यसभा सदस्य, योजना आयोग के सदस्य, और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जैसे पद शामिल रहे हैं।

भारत सरकार ने उन्हें उनके योगदान के लिए पद्म श्री (1982), पद्म भूषण (1992) और पद्म विभूषण (2000) जैसे उच्च सम्मानों से नवाजा था।

डॉ. कस्तूरीरंगन के निधन से देश ने एक महान वैज्ञानिक और दूरदर्शी नेता को खो दिया है।

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