अमेरिका ने लगाया 50% टैरिफ
अमेरिका और भारत के बीच तनाव उस समय और गहरा गया जब वॉशिंगटन ने भारतीय वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगा दिए। इस बीच रूस ने भारत को कच्चे तेल पर और ज्यादा छूट देकर ऊर्जा सहयोग को और मजबूत कर दिया है।
एक तरफ अमेरिकी प्रशासन भारत पर रूस से तेल आयात घटाने का दबाव बना रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हुए मॉस्को से खरीद जारी रखी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल आयात पर अपनी नाराजगी जताते हुए भारतीय वस्तुओं पर 50% तक के टैरिफ लगाए हैं।
यह फैसला 27 अगस्त, 2025 से लागू हुआ, जिससे केवल कुछ संवेदनशील क्षेत्रों (जैसे फार्मा और सेमीकंडक्टर) को ही छूट मिली है।
रूस ने भारत को कच्चे तेल पर मिलने वाली छूट बढ़ाकर $3–4 प्रति बैरल कर दी है। पूर्व में यह दर $1–2.5 थी (जुलाई के मुकाबले)। यह नई दरें सितंबर और अक्टूबर में लागू होंगी।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी टैरिफ का उद्देश्य भारत को रोकना था, लेकिन इसका उल्टा असर हुआ। भारत ने रूस से सस्ता तेल लेना जारी रखा, जिससे वितरण चैनल में ‘ब्लैक मार्केट’ की भूमिका बढ़ी।
भारत का रुख: रणनीतिक स्वायत्तता
भारत ने स्पष्ट किया है कि रूस से तेल खरीदना उसकी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक रणनीति का हिस्सा है। वह इस पर रोक का समर्थन नहीं करता—साथ ही अमेरिका और EU की ओर से भी रूस से तेल का व्यापार जारी है।
अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने ट्रंप के टैरिफ नीति की आलोचना की, कहते हैं कि इससे भारत चीन और रूस के करीब जा रहा है और दशकों से बने द्विपक्षीय संबंधों को खतरा हो रहा है।
इन टैरिफों से भारत–अमेरिका के बीच जारी व्यापार समझौतों पर असर पड़ा है। अब दोनों देशों में व्यापार वार्ता फिर से सुचारू रूप से चलाने की कोशिशें हो रही हैं।

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