केदारनाथ धाम आने वाले प्रसाद की हो जांच :तीर्थ पुरोहित समाज केदारनाथ

तिरुपति के प्रसादम लड्डू में फिश ऑयल और चर्बी की पुष्टि
तिरुपति लड्डू विवाद का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
2014 में श्री तिरुपति प्रसादम लड्डू को मिल चुका है GI टैग
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

तिरूपति बालाजी की घटना से केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज में आक्रोश है। तीर्थ पुरोहितों के द्वारा केदारनाथ धाम में पहुंच रहे प्रसाद पर भी संदेह जताते हुए प्रसाद की जांच की मांग की है।

विस्तार

श्री तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसाद में विवाद के चलते लैब जांच रिपोर्ट में कथित पशु चर्बी के इस्तेमाल होने की जानकारी सामने आने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। तिरुपति बालाजी के मंदिर के प्रसाद को लेकर उठे विवाद के बाद न केवल वहां की पूर्ववर्ती सरकार, बल्कि मंदिर से जुड़े लोगों पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम का इतिहास बेहद पुराना है। बावजूद इसके लड्डू में इस तरह की मिलावट की खबर ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है।

वहीं इस विवाद से केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित समाज में भी आक्रोश है। तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम पहुंच रहे प्रसाद पर भी संदेह जताया है।

तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ धाम पहुंच रहे प्रसाद की भी जांच होनी चाहिए। यदि कभी ऐसा धाम में हुआ तो 2013 से बड़ी आपदा देखने को मिल सकती है। इसलिए समय रहते सरकार को इस मामले में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

जानें क्या है पूरा मामला

आंध्र प्रदेश के CM एन चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर 2024 को आरोप लगाया कि पिछली YSRCP सरकार के दौरान तिरुपति लड्डू प्रसादम बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था। YSRCP ने इस आरोप को “दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए खारिज कर दिया और नायडू को सबूत पेश करने की चुनौती दी।

19 सितंबर को लैब की रिपोर्ट सामने आई जिसने तिरुपति लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच की थी। गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) प्रयोगशाला की रिपोर्ट में कहा गया कि तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में एनिमल फैट मौजूद था।

रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि घी में गोमांस और मछली के तेल के अंश थे। साथ ही एक सेमी सॉलिड सफेद फैट मिला है जो सूअर की चर्बी को पिघलाकर मिलता है। जिसके बाद इसको लेकर काफी विवाद बढ़ गया।

लड्डू को मिला है जीआई टैग 

आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। पिछले 300 सालों से मंदिर में आने वाले हिंदू भक्तों को खास ‘लड्डू’ प्रसाद के रूप में दिया जा रहा है और इस लड्डू को साल 2014 में जीआई टैग भी मिल चुका है। इसका मतलब है कि तिरुपति तिरुमला के नाम का यह लड्डू सिर्फ आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में ही मिल सकता है।

इस मंदिर को तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। यह मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा चलाया जाता है, जो आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।

तिरुपति लड्डू विवाद का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में उपयोग होने वाले घी की जांच रिपोर्ट में जानवरों की चर्बी होने की पुष्टि के बाद मामले की जांच के लिए हिंदू सेवा समिति नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

हिन्दू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इससे पहले इसी मसले पर वकील सत्यम सिंह राजपूत ने एक पत्र याचिका भारत के CJI डीवाई चंद्रचूड़ को प्रेषित की थी। सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने बृहस्पतिवार, 19 सितंबर को दावा किया कि गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला द्वारा मिलावट की पुष्टि की गई है।

इस मामले की जांच के लिए 22 सितंबर को विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया। लैब टेस्ट 23 जुलाई को किया गया था। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पूरे विवाद पर रिपोर्ट मांगी है।

https://regionalreporter.in/chess-olympiad-2024/
https://youtu.be/jkIQC6t9hr8?si=w7A9RY47tu_UQ0c5
Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: