हवा खराब होने के कारण दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के पहले चरण की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं। इसके तहत प्रदूषण के बढ़ते स्तर के अनुसार सख्त नियम लागू किए जाएंगे, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर पर भी असर पड़ेगा। निर्माण कार्यों पर रोक और सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करना डेवलपर्स के लिए अनिवार्य होगा।
ग्रैप का उद्देश्य वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना है, जिसमें निर्माण कार्यों को रोकने के अलावा कई तरह के प्रतिबंध शामिल हैं। इन नियमों को पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मिलकर तैयार किया है।
दिल्ली की हवा खराब होने से ग्रैप के पहले चरण की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं। हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस बार ये पाबंदियां छह दिन बाद लगाई गई हैं। पिछले साल दिल्ली में पर्यावरण पहले ही प्रदूषित हो गया था। वहां का एक्यूआई छह अक्तूबर 2023 को ही 200 के पार चला गया था।
दिल्ली में प्रदूषण
दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। दिल्लीवासियों को शनिवार को लगातार छठे दिन ‘खराब’ वायु गुणवत्ता का सामना करना पड़ा। यहां के कई इलाकों में एक्यूआई 300 के पार चला गया है। शनिवार को अक्षरधाम इलाके में सुबह आठ बजे एक्यूआई गिरकर 334 पर आ गया, जिसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा गया है। इसी समय इंडिया गेट और आसपास के इलाकों में एक्यूआई 251, आईटीओ में 226 और भीकाजी कामा प्लेस में 273 दर्ज किया गया जो खराब श्रेणी की वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, जब एक्यूआई ‘खराब’ श्रेणी में होता है, तो लंबे समय तक संपर्क में रहने पर अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। वहीं ‘बहुत खराब’ श्रेणी में होने पर लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस से जुड़ी बीमारी हो सकती है।
क्या होता है ग्रैप फार्मूला
पिछले कुछ वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 2 दिसंबर 2016 में एमसी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, विभिन्न वायु गुणवत्ता सूचकांक के तहत कार्यान्वयन के लिए ग्रैप तैयार किया गया है। ग्रैप को दिल्ली एनसीआर में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता के चार (ग्रैप-1, ग्रैप-2, ग्रैप-3, ग्रैप-4) अलग-अलग चरण के हिसाब से बांटा गया गया है।
ग्रेप के चार चरण तय
- हवा की गुणवत्ता (AQI) 201 से 300 यानी ‘खराब’ होने पर ग्रैप-1 लागू किया जाता है।
- AQI 301 से 400 यानी हवा बहुत खराब होने पर इसका दूसरा चरण लागू होता है।
- हवा की गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब होने (AQI 401 से 450) पर तीसरा चरण लागू होता है।
- AQI 450 से ज्यादा होने पर चौथा चरण लागू किया जाता है।
अभी दिल्ली में ग्रैप-1 लागू
इस साल हवा की गुणवत्ता पिछले साल के मुकाबले छह दिन बाद खराब की श्रेणी में पहुंचने पर ग्रेप-1 लागू कर दिया गया है। इसके तहत समयावधि पूरी कर चुके पेट्रोल-डीजल वाहन नहीं चलेंगे। कचरा, कोयला और लकड़ियां जलाने पर पूरी तरह से रोक रहेगी। एक जनवरी तक पटाखों का न तो निर्माण होगा और न ही भंडारण और बिक्री। अवैध और प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई भी संभव है। इनमें स्वीकृत ईंधन का ही प्रयोग होगा। ईंट-भट्टों को भी प्रदूषण से निपटने के इंतजाम करने होंगे।
ग्रेप-2 के तहत लगेगी ये पाबंदियां
इंडस्ट्रीज पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है। इसमें प्रदूषण फैलाने वाले कई उद्योगों को बंद कर दिया जाता है या फिर उनकी गतिविधियों को सीमित किया जाता है। सभी तरह का निर्माण पूरी तरह से रोक दिया जाता है। सरकार निजी वाहनों के दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश पर रोक भी लगा सकती है। इस दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया जाता है। होटल-रेस्टोरेंट में ही रोक नहीं, बल्कि कोयले से चलने थर्मल पावर प्लांट तक बंद कर दिए जाते हैं। प्रदूषण से बचाने के लिए स्कूल-कॉलेज तक बंद कर दिए जाते हैं।
ग्रेप-3 के तहत होंगे ये प्रतिबंध
ग्रेप-3 में निजी वाहनों को प्रतिबंधित कर केवल इमरेंजी सेवाओं के वाहनों को ही अनुमति मिलती है। सभी प्रकार की इंडस्ट्रीज बंद कर दी जाती हैं। निर्माण पर रोक तो होती ही है, इसका उल्लंघन करने पर बड़ा जुर्माने भी लगाया जाता है।
ग्रेप-4 आवश्यक सेवा हेतु चलेंगे इलेक्ट्रिक वाहन
ग्रेप-4 में केवल इमरजेंसी सेवाओं के इलेक्ट्रिक वाहनों को ही अनुमति प्रदान की जाती है। इंडस्ट्रीज, निर्माण, कोयले आदि पर पूर्ण प्रतिबंध रहता ही है। स्कूल-कॉलेज बंद रहने के साथ ही खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसी सभी बाहरी गतिविधियों पर रोक लग जाती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा को भी सीमित किया जाता है। बाकी ग्रेप 1, 2 और तीन के सभी प्रतिबंध लागू रहते हैं।