सुप्रीम कोर्ट: UP मदरसा एजुकेशन एक्ट की संवैधानिकता बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट 2004 की वैधता को बरकरार रखा है और कहा कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है जिसमें हाईकोर्ट ने इस एक्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि राज्य सरकार मदसरे के स्टूडेंट्स को अन्य स्कूलों में भर्ती करे।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 के संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। ऐसे में यूपी के मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाखों स्टूडेंट्स को बड़ी राहत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 5 नवम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च 2024 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित किया गया था।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मदरसा एक्ट का वह प्रा‌वधान जो फाजिल और कामिल डिग्री के सिलसिले में उच्च शिक्षा को रेग्युलेट करता है वह यूजीसी एक्ट के तहत विरोधाभासी है और ऐसे में इस प्रावधान को गैर संवैधानिक करार दिया जाता है।

मदरसा एक्ट है उचित : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मदरसा एक्ट राज्य में एजुकेशन के स्टैंडर्ड को रेग्युलेट करता है। लेकिन अल्पसंख्यक संस्थान के प्रशासक का यह अधिकार संपूर्ण नहीं है और राज्य सरकार एजुकेशन के स्टैंडर्ड को रेग्युलेट कर सकती है।

अदालत ने कहा कि मदरसा एक्ट उत्तर प्रदेश में शिक्षा के मानकों को रेगुलेट करता है। अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों का प्रबंधन करने का अधिकार है लेकिन पूर्ण अधिकार नहीं है और राज्य ऐसी शिक्षा के मानकों को रेगुलेट कर सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि मदरसा एक्ट के प्रावधान उचित हैं। क्योंकि वो रेगुलेशन की आवश्यकता को पूरा करते हैं और अल्पसंख्यक समुदाय के हितों को सुरक्षित करते हैं। वो परीक्षाएं आयोजित करते हैं और उच्च शिक्षा के लिए प्रमाण पत्र देते हैं। हालांकि, मदरसे धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन उनका प्राथमिक उद्देश्य शिक्षा है।

मदरसा धार्मिक निर्देश देती है लेकिन उसकी प्राथमिकता शिक्षा है। हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट को खारिज करते हुए कहा था कि वह अनुच्छेद-25 (1)(ए) का उल्लंघन करता है और इस तरह से हाईकोर्ट ने गलती की थी।

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को अंजुमन कादरी, मैनेजर्स असोसिएशन मदारीस अराबिया यूपी, ऑल इंडिया टीचर्स असोसिएशन मदरीस अराबिया नई दिल्ली, मैनेजरस असोसिएशन अरबी मदरसा नई बाजार और टीचर असोसिएशन मदरीस अरबिया कानपुर की ओर से चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर पांच अप्रैल को अंतरिम रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने 22 मार्च 2024 को मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट 2004 को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ करार दिया था।

इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।

जानें क्या कहा था इलाहाबाद हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि मदरसा बोर्ड का उद्देश्य रेग्युलेटरी नेचर का है और पहली नजर में इलाहाबाद हाईकोर्ट की यह बात सही नहीं लगता है कि बोर्ड का गठन धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट ने 2004 के एक्ट के प्रावधानों का गलत अर्थ निकाला है। हाईकोर्ट ने 22 मार्च को यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट 2004 को असंवैधानिक व धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताया था और कहा था कि राज्य सरकार वर्तमान स्टूडेंट को औपचारिक स्कूली शिक्षा प्रणाली में समायोजित करें। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मदरसा बोर्ड को अंशुमान सिंह राठौर ने चुनौती दी थी।

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