निर्भया काण्ड की 12वीं बरसी पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधो को रोकने के सम्बन्ध में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एपवा) की ओर से भारत में महिला सुरक्षा की स्थिति पर चिन्ता जताते हुए अपने सुझाव प्रेषित किए हैं।
उत्तराखण्ड के विभिन्न हिस्सों श्रीनगर, जोशीमठ, सितारगंज, देहरादून, रूद्रपुर, हल्द्वानी, लालकुंआ में एपवा से जुड़ी आन्दोलनकारी महिलाओं ने ई-मेल के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर भारत में महिला सुरक्षा की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि, 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया का अत्यंत हृदय विदारक कांड हुआ था, जिसमें एक लड़की के साथ जघन्य बलात्कार की घटना हुई जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी।
इस घटना ने पूरे देश को आंदोलित किया और महिला सुरक्षा के विषय पर आम जनता से लेकर सरकार तक को फिर से सोचने पर मजबूर किया।
इस घटना के 12 साल बाद भी महिला सुरक्षा का सवाल अभी भी बने हुए है। निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा कमिटी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई सुझाव दिए थे लेकिन उन सुझावों को आज तक भी कार्यान्वित नहीं किया गया है।
इसी का नतीजा है कि साल-दर-साल राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अदालतों में हर रोज नए मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन इन मामलों को फास्ट्रेक करने के संदर्भ में सरकारों की तरफ से कोई भी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
निर्भया के बहाने अंकिता के लिए न्याय की लगाई गुहार
एपवा की महिलाओं ने अपने ज्ञापन में कहा है कि, पीड़ितों को मिलने वाले न्याय में देरी होने से अपराधियों में अपराध करने के बाद कानून का कोई डर नहीं रह गया है और नतीजतन महिलाओं को असुरक्षित परिवेश में रहना पड़ रहा है।
उत्तराखंड में 2 साल पहले हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज तक भी न्याय नहीं हुआ है और उसके बाद भी कई केस दर्ज किया जा चुके हैं। इन सभी मामलों में पीडिताओं के परिजन न्याय के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।
इस लिए एक महिला संगठन के नाते हमारी कुछ मांगे है। जिन पर आप से कार्यवाही की अपेक्षा है। एक महिला होने के नाते हम उम्मीद करते हैं कि आप महिलाओं के साथ हो रहे इन अपराधों के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देशित करेंगी और हम सब मिलकर महिलाओं के लिए एक सुरक्षित समाज बनाने की ओर आगे बढ़ेंगे।

महिला सुरक्षा के लिए ये दिए सुझाव
- अंकिता भंडारी और इस तरह के अन्य मामलों में पीड़िताओं को न्याय जल्दी मिले इसके लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था को क्रियान्वयित किया जाय। देहरादून आईएसबीटी गैंग रेप, नर्स के साथ बलात्कार एवं हत्या, सल्ट में नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म, लालकुआं में दुग्ध संघ अध्यक्ष द्वारा महिला कर्मचारी का यौन शोषण और उसकी बच्ची से छेड़छाड़ आदि हाल में ही हुए मामलों में पुलिस और प्रशासन की असंवेदनशीलता ने पीड़ितों का न्याय पर से भरोसा कम किया है।
- कार्यस्थलों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी संस्थाओं में विशाखा दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय। सभी सरकारी व निजी संस्थानों में जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेस्मेंट कमिटी का गठन किया जाए।
- पुलिस को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाय ताकि महिलाएं पुलिस के पास जाने से डरे नहीं।
- राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के समय जेंडर संवेदनशीलता नियुक्ति का मुख्य आधार हो, ताकि ये पद पीड़ितों के पक्ष में काम करे ना कि अपराधी के पक्ष में।