Ghoshna: गैंरसैंण स्थाई राजधानी को लेकर चौखुटिया में हुई महापंचायत

रघुवर नैलवाल बनाये गए विकास खण्ड के संयोजक
नैनीताल, अल्मोड़ा व चमोली से भी पहुंचे लोग

हेम कांडपाल / चौखुटिया
लोग भले ही चुप हैं, खामौश हैं परन्तु दिलों के अंदर उमड़ रहा ये गुस्सा तूफान से पहले का सन्नाटा जैसा नजर आ रहा है l वक्ताओं के उदगार सुनने के बाद यही लगता है कि जनता अब किसी भी स्थिति में गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए बिना मानने वाली नही है l

वक्ताओं ने दलीय राजनीति से ऊपर उठकर सभी लोगों से जनजन के हितलाभों से जुड़े राजधानी के मुद्दे पर राज्य आंदोलन की ही तरह कंधे से कंधा मिलाकर बढ़ने और लक्ष्य हासिल करने तक संघर्ष की ज्योति को जलाए रखने का आग्रह किया है l महापंचायत में दूर दूर से आए लोगों के तेवर व लामबंदी को देखते हुए यही आभास हो रहा है कि निकट भविष्य में स्थाई राजधानी का आंदोलन व्यापक रूप लेकर उत्तराखंड में बड़ी हलचल मचाएगा।


गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने, प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू करने ,1950 के आधार पर मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने की मांग को लेकर अगनेरी माता मंदिर के सभागार में विभिन्न संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों, सदस्यों ने महापंचायत कर स्थाई राजधानी के लिए जन भागीदारी के साथ आर पार की लड़ाई का संकल्प लिया। संगठन के लिए रघुवर नैनवाल को विकासखंड का संयोजक नियुक्त किया गया। महापंचायत में अल्मोड़ा, नैनीताल, चमोली, गैरसैंण, भिकियासैंण, द्वाराहाट व खन्शर घाटी सहित तमाम क्षेत्रों से लोग पहुंचे थे l
गैरसैंण स्थाई राजधानी संघर्ष समिति के आह्वान पर हुई बैठक में वक्ताओं ने उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए गैंरसैंण को अभिलम्ब स्थाई राजधानी बनाने की मांग की। कहा गया कि स्थाई राजधानी गैरसैंण बनने से ही राज्य आंदोलनकारियों के सपने साकार होंगे l


बैठक में सशक्त भू कानून लागू करने, 1950 के आधार पर स्थाई निवास बनाने, वंचित राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण सहित चयनित आन्दोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण देने की मांग भी की गई। कहा उत्तराखंड को एक हिमालयी राज्य के रुप में मांगा गया था। जिसकी स्थाई राजधानी गैंरसैंण मांगी गई थी। जिससे पर्वतीय राज्य की परिकल्पना साकार हो सकें।

वक्ताओं ने कहा गैंरसैंण को स्थाई राजधानी का दर्जा नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। कहा कि गैरसैंण राज्य की आत्मा है एक विचार है। वक्ताओं ने कहा कि राज्य बनने के 23 वर्षों बाद भी स्थाई राजधानी का नहीं बनना राज्य की जनता के साथ धोखा है। जिससे राज्य की परिकल्पना के अनुरूप दूरस्थ गांवों का विकास आज आधा अधूरा है।जनता आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल ,सिंचाई जैसी समस्याओं को लेकर संघर्ष कर रही है। तय हुआ कि एकजुटता के साथ गैरसैंण स्थाई राजधानी के लिए पूरे राज्य में जनसंपर्क कर जगह-जगह बैठकें ,धरना- प्रदर्शन से आंदोलन को तेज किया जाएगा। साथ ही महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए गांव-गांव में संपर्क के साथ महिलाओं को जोड़ा जाएगा। अध्यक्षता एलडी मठपाल व संचालन जीवन नेगी ने किया।


ये रहे मौजूद
बैठक व नारेबाजी में संघर्ष समिति अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ,उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी,राज्य आन्दोलनकारी समिति अध्यक्ष परमानन्द काण्डपाल,गेवाड़ विकास समिति अध्यक्ष गजेंद्र नेगी ,हर्षवर्धन सिंह बिष्ट, के एस बिष्ट, जगदीश महंगाई, एचसी कांडपाल, चंदन नेगी, अशोक कुमार, अवतार सिंह पुजारी ,राकेश बिष्ट,मदन कुमंया, राम बहादुर ,भुवन कठायत ,जीवन नेगी, दिनेश मनराल,दरबार सिंह बिष्ट, प्रेम सिंह अटवाल, प्रकाश जोशी, जमन सिंह मनराल,शंकर बिष्ट,कला काण्डपाल, प्रकाश उपाध्याय,लीलाधर मठपाल, मनोज तडियाल,दयाल सिंह पुण्डीर, दयासागर मासीवाल, रहे।

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