रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
घण्टाघर में मौजूद घड़ियों की सुइयां थम गई, यही नहीं घण्टाघर की लाइटें भी बुझ गई और इसकी वजह है एक बार फिर से घण्टाघर में चोरी।
किसी अज्ञात द्वारा शासकीय सम्पत्ति को क्षति पहुचाते हुए घण्टाघर में स्थापित मोटर, फ्लड लाईट की तारों को काटने एवं घण्टाघर को क्षतिग्रस्त करने के सम्बन्ध में अधिशासी अभियन्ता, नगर निगम देहरादून द्वारा चौकी प्रभारी, धारा चौकी को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किये जाने हेतु पत्र सं0-626, दिनाँक 10.09.2024 प्रेषित किया गया है।
घटना की जांच के सम्बन्ध में 11 सितम्बर 2024 को अपर नगर आयुक्त, अधिशासी अभियन्ता, नगर निगम, क्षेत्राधिकारी नगर, निरीक्षक कोतवाली द्वारा मौके पर जाकर संयुक्त रूप से निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान घड़ी से जुड़े हुए तारों का कटा होना पाया गया, परन्तु सभी उपकरण एवं घड़ियाँ सुरक्षित पाये गये, विद्युत संयोजन क्षतिग्रस्त होने एवं स्पीकरों के कार्य न करने का कारण घड़ियों बन्द पायी गयी। मौके पर फॉरेंसिक टीम को बुलाकर घटना स्थल की फोटोग्राफी / वीडियोग्राफी करवायी गयी।
घण्टाघर देहरादून शहर की मुख्य धरोहर एवं आकर्षण का केन्द्र हैं, इसलिए प्रकरण की गम्भीरता एवं घण्टाघर के सम्मान को देखते हुए अधोहस्ताक्षरी द्वारा मौके पर उपस्थित रहकर तत्काल विद्युत तारों को सुव्यवस्थित कराते हुए घण्टाघर की समस्त 06 घड़ियों की मरम्मत करवायी गई।
इसके साथ ही भविष्य में किसी भी प्रकार की घटना को रोकने एवं घण्टाघर की सुरक्षा को देखते हुए 06 CCTV कैमरा नगर निगम द्वारा घण्टाघर के चारों ओर लगा दिये गये हैं। घटना की गम्भीरता को देखते हुए इस सम्बन्ध में कार्यालय पत्र सं0-1042/एस0टी0/2024, दिनॉक 11/09/2024 के द्वारा प्रकरण की विभागीय जांच करने हेतु अपर नगर आयुक्त वीर सिंह बुदियाल को जांच अधिकारी नामित करते हुए तीन दिन के अन्दर स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये है।
लाला शेर सिंह ने बनवाया था क्लॉक टावर
लाला शेर सिंह द्वारा अपने पिता लाला बलबीर सिंह की याद में बनवाया गया षट्कोणीय संरचना घंटाघर 06 स्विस घड़ियों वाली एक दुर्लभ इमारत है। यह टावर लगभग 85 मीटर ऊँचा है, जिसकी घंटियाँ पूरे शहर में गूँजती थीं।
यह सिर्फ औपनिवेशिक वास्तुकला का एक नमूना नहीं है। यह स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से उकेरा गया एक स्मारक है, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देहरादून की भूमिका का प्रतीक है। लगभग 70 वर्षों तक, यह शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर खड़ा है।
इस ऐतिहासिक घंटाघर का शिलान्यास 1940 तत्कालीन गवर्नर सरोजनी नायडू ने किया और लोकार्पण 1953 में केंद्रीय मंत्री लाल बहादूर शास्त्री ने किया था।