जलवायु परिवर्तन बदलाव में पर्यावरण संरक्षण की अहम भूमिका

डालियों का दगडिया संस्था द्वारा 15 गांवों का किया भ्रमण
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन तथा पर्यावरण प्रदूषण नियन्त्रण के संकल्प के साथ सामाजिक संस्था डालियों का दगडिया (डीकेडी) ने 15 गांवों में पर्यावरण दिवस के अवसर पर अभियान शुरू किया। एक सप्ताह तक चले इस आयोजन में डालियों का दगडिया (डी.के.डी.) संस्था, श्रीनगर गढ़वाल द्वारा उत्तराखण्ड के जिला टिहरी गढ़वाल के जाखणीधार विकासखण्ड के सुदूरवर्ती 15 गांवों में दिनांक 5 जून 2024 को पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन हेतु पर्यावरण प्रदूषण नियन्त्रण के संकल्प के साथ मनाया गया।

डी.के.डी. संस्था द्वारा समुदाय आधारित समुदायों के प्रतिनिधि, महिलाओं, युवाओं और बच्चों को पर्यावरण प्रदूषण से पानी, हवा, रेत, मिट्टी आदि के साथ-साथ पेड़-पौधे, खेती और जीव-जन्तु आदि पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया गया।

200 सीड बाॅल बनाकर खाली पडे़ जंगलों में डाले बीज
15 गांवों के समुदाय प्रतिनिधियों, बच्चों, युवाओं व महिलाओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण के नारे लगाए गए। बच्चों व युवाओं द्वारा मिट्टी के 200 सीड बाॅल बनाए जिसमें कि उसके अन्दर बांज, आडू, काफल, पूलम, मोलू, भीमल, खडीक, डैकन, रीठा आदि के बीज डाले गए थे और सभी सीड बाॅल को अपने-अपने गांव के खाली पड़े जंगलों में फेंका गया। 15 गांवों के धारों के आस-पास की सफाई की गई तथा मंदार के सिलवाणी नामे प्राकृतिक धारे के आसपास 10 बांज के पेडों का वृक्षारोपण किया गया।

एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 ली. छोड़ता है ऑक्सीजन
डालियों का दगड़िया संस्था निदेशक डा. मोहन सिंह पंवार द्वारा एक स्वस्थ पेड़ की अहमियत बताते हुए कहा कि एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर आक्सीजन छोड़ता है, जिससे सात लोगों को प्राण वायु मिल पाती है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर पुराने परिपक्व पेड़ छोटे पेड़ों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन पैदा करते है। एक परिपक्व बांज का पेड प्रति वर्ष औसतन एक लाख लीटर ऑक्सीजन का उत्पाद करते है, यह एक दिन में लगभग 274 लीटर ऑक्सीजन देता है।

910 घटनाओं में 1144 हे. वन क्षेत्र है जल चुका
अनिता उनियाल, परियोजना एसोसिऐट ने कहा कि सूत्रों के अनुसार जनवरी से गई 2024 तक लगातार पांच महीनों तक उत्तराखण्ड में इस फायर सीजन में अब तक 910 घटनाओं में से 1144 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है।

जंगल की आग से उठने वाला कार्बनडाई आक्साइड धुंआ वायु को प्रदूषण तो किया है साथ ही साथ इसका दुष्प्रभाव बुजुर्ग लोगों को जो कि दमा के शिकार थे को बहुत ही दर्दनाक स्थिति से गुजरना पड़ा, हमारे प्राकृतिक जल स्रोत, वन्य जीव जन्तु और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है जिससे कि भविष्य में पारिस्थितिकी संकट उत्पन्न हो रहा है।

उन्होंने कहा कि हम सभी हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस तो मनाते ही है यदि हम समी हर दिन पर्यावरण दिवस मनाने की सोच बना ले तो पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन करने में हम पूरी पृथ्ची को सुरक्षित रखने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देगें।

पानी के संरक्षण के लिए चाल-खाल है उपयोगी
श्री आशाराम नमगांई, नोडल ऑफिसर डी.के.डी. संस्था द्वारा कहा गया कि रिचार्ज पिट, कन्दूर ट्रन्चेज ड्राइवर्जन चाल-खाल ऐसी तकनीक है जो कि बारिश के पानी को भूमि के अन्दर संरक्षण करने के लिए सबसे ज्यादा लामदायक है और इसका लाभ धारे के पानी को लम्बे समय तक जीवित रखने और खेतों में भी नमी बनाए रखने में सहायक है।

https://youtu.be/e3cZ8ynvoV0?si=yJKbTn_oq7W71U2t

60 प्रतिशत प्राकृतिक जलस्रोत पूरी तरह से गए हैं सूख
किरन रावत, फील्ड फैसिलिटेटर ने सभी युवा, बच्चों और महिलाओं को धारे के पानी को मापना सिखाया गया। उन्होंने बताया प्राचीन काल से ही हमारे उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों के हजारों गांवों को पीने के लिए पानी एवं अन्य घरेलू कार्यों के उपयोग में तथा सिंचाई के लिए गांव के जल स्रोत, नौला, धारा का ही मुख्य रूप से योगदान है जो कि हमारे जीवन को बचाए हुए है।

किन्तु धीरे-धीरे अनियमित वर्षा, भूस्खलन व जलवायु परिवर्तन आदि कारणों से हमारे पर्वतीय क्षेत्र के लगभग 60 प्रतिशत प्राकृतिक धारे, कुरे, नीले, स्रोत पूरी तरह से सूख चुके है और अन्य भी धीरे धीरे सूखने की कगार में है।

उन्होंने बताया कि चारे की पानी का माप करने से आप सभी ये अच्छी तरह से समझ जाओगे कि धीरे-धीरे हमारे गांव का पानी कितना कम होता जा रहा है जो कि भविष्य में पीने के पानी का गहरा संकट की ओर इशारा कर रहा है।

अतः हम सभी को अपने प्राकृतिक स्रोतों को बचाने के लिए उसके आस-पास ज्यादा से ज्यादा पानी को रिचार्ज करने के लिए बांज, उतीस, काफल जैसे पेड़ों का ज्यादा से ज्यादा संख्या में वृक्षारोपण करना चाहिए।

कार्यक्रम में 15 गांवों के सी.बी.सी.आर.सी सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, बाल ग्रुप व युवा ग्रुप के सदस्य तथा महिलाऐं कुल 487 लोगों ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

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