महात्मा गांधी को सिर्फ सोशल साइट्स पर किया गया याद
कांग्रेसी भी नहीं दे पाए राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि
स्कूलों में भी नहीं किए गए याद महात्मा गांधी
शासन-प्रशासन को भी नहीं रहा कोई मतलब
गंगा असनोड़ा
हम सब के थे प्यारे बापू,
सारे जग से न्यारे बापू,
कभी न हिम्मत हारे बापू,
भारत के उजियारे बापू।।
कक्षा दो में पढ़ी यह कविता लगता है, आज प्रासंगिक नहीं रही। गढ़वाल क्षेत्र के केंद्र बिन्दु श्रीनगर (गढ़वाल) में तो कमोबेश ऐसा ही देखने को मिला। न ही शासन-प्रशासन को, न स्कूलों में, न कांग्रेसियों के बीच और ना ही चौराहों पर लगी गांधी की मूर्तियों के समक्ष। मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी Mahatma Gandhi बना देने वाले इस देश में उन्हें धरातल पर याद करने को एक व्यक्ति, कोई गांधीवादी या कांग्रेसी नेता और ना ही कोई स्कूल प्रबंधन रहा, जिसने उन्हें श्रद्धांजलि दी हो।
30 जनवरी यानि महात्मा गांधी के अवसान का दिन। 70 वर्षों तक भारत पर राज करने वाली कांग्रेस भी गांधी को राष्ट्रपिता कहती, उनकी पुण्य तिथि को शहीद दिवस कहकर मनाती। श्रीनगर (गढ़वाल) garhwal के गोला पार्क gola park में महात्मा गांधी की दिव्य चमकदार मूर्ति सजी हुई है। 30 जनवरी को कई गांधीवादी या कांग्रेसी congres नेता इस मूर्ति पर माल्यार्पण एवं मौन रखकर गांधीजी को श्रद्धांजलि देना नहीं भूलते थे, लेकिन आज गांधीजी अपने प्रिय अनुयायियों की राह तकते ही रह गए।
दरअसल! लगता है कि गुलाबी रंग में रंगे गांधी के सामने महात्मा गांधी के दीवानों ने घुटने टेक दिए हैं। ऐन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले छाया ये सन्नाटा बताता है कि या तो कांग्रेस के बचे-खुचे नेता भी भाजपा B.J.P. में शामिल होने के लिए छटपटा रहे हैं या फिर सत्ता-प्रतिष्ठानों के साथ मिलकर मलाई चाट रहे हैं। यहां यह कहना समीचीन होगा कि गुटों ; कभी हरीश, कभी सतपाल, कभी रणजीत, कभी प्रीतमद्धमें बंटी कांग्रेस ने सिर्फ और सिर्फ ठेकेदारों की जमात कायम की। जब तक कांग्रेस सरकार के दिन रहे, तब तक ये ठेकेदारी प्रथा खूब फली-फूली। कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के बाद इन ठेकों की चाबी सिर्फ और सिर्फ भाजपा नेताओं के हाथ में है। ऐसे में गांधी के गले में माला पहनाएं या भाजपा के साथ हाथ मिलाएं!
ये कहां जा रहे हमारे नेता!
मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा श्रीनगर के पूर्व विधायक गणेश गोदियाल श्रीनगर पहुंचे, लेकिन उन्होंने गांधी की मूर्ति तक आने का साहस नहीं दिखाया। हिमालय पुत्र स्व.हेमवती नंदन बहुगुणा के पौत्र विधायक युवा नेता सौरव बहुगुणा मंगलवार को कुछ दुकानों में चक्कर लगाते अवश्य दिखाई दिए, लेकिन चंद कदम दूर गोला बाजार में अवस्थित गांधी जी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने का साहस उन्हें भी नहीं हुआ। बात यह भी थी कि इसी मूर्ति के समक्ष उनके दादा स्व.बहुगुणा की मूर्ति भी स्थापित है। वे एक पंथ दो काज कर सकते थे।