राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने हेमंत सोरेन को झारखंड मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 49 वर्षीय नेता का मुख्यमंत्री के रूप में यह चौथा कार्यकाल होगा। हेमंत सोरेन राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी नेताओं का रांची में जमावड़ा लग गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी और तेजस्वी यादव सहित विपक्ष के कई बड़े नेता इसमें शामिल हुए।
विधानसभा चुनावों में जीत के बाद चौथी पारी
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में हेमंत सोरेन के झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटें हासिल करके जीत दर्ज की। महागठबंधन ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 24 सीटों पर ही सीमित कर दिया।
हेमंत सोरेन ने बरहेट सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा के गमलील हेम्ब्रोम को 39,791 मतों के अंतर से हराया। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने भी गांडेय विधानसभा सीट से जीत हासिल की।
गुरुवार, 28 नवम्बर से शपथ लेने के साथ ही उनकी चौथी पारी शुरू हो गयी है। झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा। जब 24 साल के इतिहास में तीन लोग तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इनमें हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन, भाजपा नेता अर्जुन मुंडा और खुद हेमंत सोरेन शामिल हैं। चौथी बार शपथ लेते ही हेमंत इस श्रेणी से आगे निकल जाएंगे।
कौन हैं हेमंत सोरेन
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री गए हैं। वे राज्य के तीन बार के सीएम शिबू सोरेन के बेटे हैं।
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त, 1975 को शिबू सोरेन और रूपी सोरेन के घर हुआ था। हेमंत ने 1990 में पटना के एमजी हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की। इसके बाद 1994 में पटना हाई स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने रांची के बीआईटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, लेकिन कुछ कारणों से पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। पढ़ाई के बाद हेमंत ने इंजीनियरिंग फर्मों के साथ काम किया।
हेमंत की शादी कल्पना सोरेन से हुई है और उनके दो बेटे हैं। हेमंत की पत्नी कल्पना भी इस चुनाव में गांडेय विधानसभा सीट से जीती हैं।
हेमंत सोरेन का सियासी सफर
हेमंत को शुरुआत में अपने पिता के उत्तराधिकारी के तौर पर नहीं देखा जाता था। उनके बड़े भाई दुर्गा झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन के नामित उत्तराधिकारी थे, लेकिन 2009 में उनकी असामयिक मौत के बाद हेमंत ने राज्य में पार्टी की कमान संभाली।
हेमंत ने 2009 में राज्यसभा सांसद के रूप में अपनी सियासी पारी की शुरुआत की। हालांकि, 2010 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा-झामुमो सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 2012 में भाजपा और झामुमो की राहें जुदा होने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
जुलाई 2013 में हेमंत ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के समर्थन से झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, उनका पहला कार्यकाल बहुत छोटा था। दिसंबर 2014 में भाजपा ने झारखंड की सत्ता में वापसी की और हेमंत विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
साल 2016 में हेमंत के सियासी करियर में उस वक्त एक अहम मोड़ आया, जब भाजपा-नीत सरकार ने आदिवासी भूमि की रक्षा करने वाले कानूनों, मसलन-छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, में संशोधन की कोशिश की।
हेमंत ने आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे न केवल उन्हें व्यापक समर्थन मिला, बल्कि सत्ता में उनकी वापसी का मंच भी तैयार हुआ।
हेमंत दिसंबर 2019 में कांग्रेस और राजद के सहयोग से एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए। उनकी पार्टी ने झारखंड विधानसभा चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 81 सीट में से 30 पर कब्जा जमाया, जो उनके नेतृत्व की बढ़ती लोकप्रियता की तरफ भी इशारा करता था।
हालांकि, हेमंत का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है। वर्ष 2023 की शुरुआत में भूमि घोटाले से जुड़े कथित धनशोधन मामले में उनका नाम उछला।
इस साल 31 जनवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ देर बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। झारखंड उच्च न्यायालय ने जून में यह कहते हुए हेमंत की जमानत अर्जी मंजूर कर ली कि उनके अपराध करने की कोई संभावना नहीं थी।