कार्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ों की अवैध कटाई और सफारी घोटाला

अफसरों परअभियोजन हेतु सीबीआई ने मांगी अनुमति

कार्बेट टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी परियोजना के नाम पर 6,000 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई और अवैध निर्माण के मामले में सीबीआई ने अपनी जांच पूरी कर दी है।

सीबीआई ने अक्टू, 2023 में मुकदमा दर्ज किया था। अब सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है। प्रकरण में अब शासन से अफसरों के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी जा रही है।

इससे पहले सीबीआई अपनी रिपोर्ट कोर्ट में भी दाखिल कर चुकी है। सीबीआई ने अपनी जांच के आधार पर अब आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है और जल्द ही चार्जशीट दाखिल करने की भी तैयारी की जा रही है।

सीबीआई के इस कदम से वन विभाग के अफसरों में हड़कंप की स्थिति है। सीबीआई से पहले यह मामला विजिलेंस के पास था। तब तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी शर्मा और डीएफओ किशन चंद को सस्पेंड करने के साथ ही गिरफ्तार किया गया था

पूर्व वन मंत्री और डीएफओ पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डीएफओ किशन चंद पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने “पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन को कूड़ेदान में फेंक दिया”। कोर्ट ने टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में टाइगर सफारी की अनुमति को भी रद्द कर दिया।

सीबीआई और ईडी की संयुक्त जांच

नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने जांच शुरू की थी। साथ ही, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी हरक सिंह रावत से पूछताछ की है, जिससे इस प्रकरण में वित्तीय घोटाले के संकेत मिले हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्रों में सफारी पर पूरी तरह रोक लगा दी है। केवल घायल या अनाथ बाघों के संरक्षण हेतु सीमित सफारी की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने एनटीसीए की 2019 गाइडलाइंस को भी रद्द कर दिया।

सीबीआई को तीन महीने के भीतर जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया था साथ ही, एक समिति बनाई गई जो पूरे देश के टाइगर रिजर्व के लिए एक समान नीति पर सुझाव दे।

कार्बेट टाइगर रिजर्व घोटाला

उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर रिजर्व में हुए पेड़ों की अवैध कटाई और टाइगर सफारी निर्माण घोटाला वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य की त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार में सामने आया।

पाखरो रेंज में प्रस्तावित टाइगर सफारी परियोजना के लिए केवल 163 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी, लेकिन 6,000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए, जो स्पष्ट रूप से वन अधिनियम और पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन था।

इस परियोजना की देखरेख वन विभाग द्वारा की जा रही थी, और तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत तथा डीएफओ किशन चंद की भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगे।

निर्माण कार्यों के लिए पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ली गई, और बिना अनुमति के टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में सड़कों और इमारतों का निर्माण किया गया।

मामले की गंभीरता को देखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने जांच शुरू की। बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना को लेकर पूछताछ की।

वर्ष 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए टाइगर सफारी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और अधिकारियों की कड़ी आलोचना की।

अब 2025 में, सीबीआई ने पाँच अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और संबंधित विभागों से अभियोजन की अनुमति मांगी गई है।

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