डा.नीलम ध्यानी ने कहाः जो भी हूं, नाना और मां की बदौलत हूं
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
आयकर कमिश्नर एवं डा.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल की नातिन डा.नीलम ध्यानी ने कहा कि वे अपने नानाजी के स्वाभाविक विचारों के साथ आज इस आयोजन में मौजूद हैं। मैंने नानाजी को साक्षात् नहीं देखा, लेकिन मां के विचारों और व्यवहार में वे सदैव दिखाई, सुनाई दिए।
आज जहां भी हूं, अपने नाना डा.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल और मां की बदौलत हूं। उन्होंने कहा कि मेरे नानाजी की एक बेटी अकाल मृत्यु की गोद में समा गई, लेकिन अपनी तीनों अन्य बेटियों को उन्होंने हर क्षेत्र में जाने की छूट दी।
श्रीनगर गढ़वाल में डा.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल के जन्म दिवस पर आयोजित समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि डा.नीलम ध्यानी ने कहा कि मेरी मां को कभी भी मैंने या मेरी दोस्तों ने ऐसे खाओ, ऐसे बैठो, ऐसे हँसो, ऐसे बोलो जैसे प्रवचन देते नहीं सुना। मेरी मां बताती थीं कि उनकी और उनकी बहनें अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ी। यहां तक कि एक बहन स्पोर्ट्स क्लब में बैडमिंटन खेलने भी जाया करती थीं। उन्होंने कहा कि यदि बेटियों को अच्छी शिक्षा, उनकी मंशा को समझने का जज्बा आ जाए, तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारों की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि कार्यरूप में परिणित होते दिखाई देंगे।