रीना शाही /स्वतंत्र लेखिका
UGC नेट परीक्षा: नौ लाख परीक्षार्थियों की कहानी
19 जून 2024 , साउथ दिल्ली
शाम को खबर आती है कि UGC ने 18 जून को हुए NET के एग्जाम को कैंसिल कर दिया है।
अब क्या? कहाँ माथा पीटें ? 9 लाख बच्चों का क्या? उनकी मेहनत , सपनों, उम्मीदों का क्या? कौन क्या चाहता है? छात्र किस के दुश्मन हैं? क्यों उनको हर बार ठगा जा रहा है ?
बहुत सवाल हैं।
नीचे मेरी और मेरे जैसे 9 लाख उम्मीदवारों की कहानी है।
18 जून 2024, साउथ दिल्ली
आज UGC NET के एग्जाम का दिन है। पिछले 6 महीनों से जॉब और पढ़ाई के बीच सामंजस्य बैठाकर इस परीक्षा की तैयारी कर रही हूँ, और आज आखिरकार वो दिन आ ही गया।
सुबह 4 बजे नहा धोकर , एग्जाम के लिए ज़रूरी सारी चीज़ों को एक बार फिर से चेक किया और एक नज़र नोट्स पर डाली जो शायद हर छात्र का एक लालच होता है कि जाते-जाते थोड़ा और दिमाग़ में फिट किया जाये।
एक्साइटमेंट, थोड़े डर के साथ परीक्षा के लिए सारी तैयारियाँ कर ली हैं। केंद्र रोहिणी के किसी स्कूल में है, और साउथ दिल्ली से रोहिणी पहुँचने में लगभग 45 मिनट लगते हैं। एग्जाम केंद्र पहुँचने का समय 7:30 है, इसलिए 6:30 बजे कैब बुक कर वहाँ के लिए निकल पड़ी। मोबाइल ले जाना अलाउड नहीं है, इसलिए कुछ रुपये रख लिए हैं।
लगभग 7:12 बजे केंद्र पहुँचती हूँ, देखती हूँ कि काफ़ी बच्चे पहले ही पहुँच चुके हैं। कुछ नींद में, कुछ डरे, परेशान, नर्वस लेकिन उम्मीद से भरे, कुछ के परिजन साथ हैं, जो उन्हें पानी, खाना और कुछ विशेष सलाहें दे रहे हैं ।
कुछ ज़्यादा दूर से आये बच्चे वहीं साइड में ब्रेकफ़ास्ट कर रहे हैं। एक अनाउंसमेंट बार बार हो रही है कि बच्चे अपना बैग स्कूल के अंदर रखवा सकते हैं ₹50 में । 7:45 के करीब गेट खुलता है, सबकी औपचारिक चेकिंग होती है, एडमिट कार्ड मिलाए जाते हैं, आधार कार्ड से शक्ल और अंगूठे के निशान मिलाए जाते हैं फोटो खींची जाती है , हाथ-पैर के धागे , गहने, दुप्पट्टे सब हटवा दिए जाते हैं।
3rd फ्लोर में अपनी सीट है ,कुर्सी और डेस्क ऐसे तपे हैं कि अंडे का हाफ फ्राई बनाया जा सकता है। 9:30 से 12:30 तक एग्जाम होता है। इतने महीनों की सारी मेहनत एक छात्र इस 3 घंटे में झोंक देता है। ऊपर से गर्मी इतनी की साँस तक लेना मुश्किल हो रहा है, लेकिन परीक्षा तो देनी है।
सपने हैं, वादे हैं, उम्मीदें हैं। 1100 रुपये का फॉर्म भरा था, कैब का खर्चा, इतने महीनों से काम और पढ़ाई को एक साथ मैनेज किया था।
12:30 बजे परीक्षा समाप्त होती है, केंद्र से बाहर निकलते ही याद आता है कि अरे! ये तो दिल्ली है और तापमान 45 डिग्री। राहत बस इस बात की है कि एग्जाम अच्छे से हो गया। अब नजदीकी मेट्रो स्टेशन रिठाला तक जाना है, फोन साथ नहीं है, तो अब मैन्युअली मैनेज करना होगा। 20 मिनट में मेट्रो स्टेशन पहुँचती हूँ।
वहाँ जाकर पता चलता है कि आज तो मेट्रो में दुनिया भर की भीड़ है। छोटा कुंभ का माहौल है। पहले अंदर तक जाने का संघर्ष, फिर टिकट की लाइन में 20 मिनट बाद नंबर आया , सबका पसीना और गर्मी से बुरा हाल है, किसी का भी सब्र का बांध ऐसे में कभी भी टूट सकता है, पंखों का कोई असर नहीं हो रहा। टिकट लेने के बाद चेक इन की मगजमारी। मेट्रो में ठसाठस भरे लोगों में जगह बनायी, ज़्यादातर उम्मीदवार बच्चे ही थे, जो एग्जाम को डिस्कस कर रहे थे। काफ़ी बच्चे पॉजिटिव थे आज एग्जाम को लेकर। मुझे दो मेट्रो बदलने थे।,इंटरचेंज के लिए कम से कम 1 किमी चलना पड़ा ,इस गर्मी में लगा मानो मैराथन भाग रही हूँ ,2:20 बजे रूम पर पहुँची ।
ये एक उम्मीदवार छात्र की उस दिन की कहानी है। ऐसे ही उस दिन 9 लाख बच्चों ने दो शिफ्टों में अपनी-अपनी मजबूरियों, परेशानियों को दरकिनार करते हुए पूरे उम्मीद से परीक्षा दी। कुछ बच्चों ने कहा कि वो उधार लेकर परीक्षा केंद्र पहुँचे थे। ऐसे ही कई कहानियाँ होंगी, इतने महीनों का संघर्ष, मेहनत, दबाव होगा ।