भारत अंतरिक्ष यानों को आसमान में ही डॉक (जोड़ने) और अनडॉक (अलग) करने की आवश्यक प्रौद्योगिकी के विकास को प्रदर्शित करने के लिए 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी60 के जरिये स्पैडेक्स (SapeDex) मिशन को अंजाम देगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सोमवार को यह जानकारी दी। इस मिशन के जरिये भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर बढ़ रहा है।
इसरो में बताया कि 21 दिसंबर को प्रक्षेपण यान को एकीकृत कर दिया गया तथा उपग्रहों के आगे एकीकरण तथा प्रक्षेपण की तैयारियों के लिए इसे पहले प्रक्षेपण पैड पर ले जाया गया।
इसरो की ओर से ट्विटर पर पीएसएलवी-सी60 को पहले प्रक्षेपण पैड पर ले जाने का वीडियो साझा किया गया है जिसे पहली बार पीआईएफ सुविधा में पीएस4 से पूरी तरह एकीकृत किया गया था। इसरो की वेबसाइट के मुताबिक, 30 दिसंबर को लोग लॉन्च व्यू गैलरी में इसके लिए पंजीकरण करवाकर इसे देख सकते हैं। पंजीकरण सोमवार शाम छह बजे से शुरू हो गया है।अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का प्रदर्शन के लिए मिशन
इसरो ने बताया कि स्पैडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके ‘अंतरिक्ष में डॉकिंग’ के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे कि चंद्रमा पर भारत का अभियान, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र का निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक है।अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है।
इसरो के मुताबिक स्पैडेक्स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (एसडीएक्स01, जो कि चेजर है, और एसडीएक्स02, जो कि नाममात्र का टारगेट है, प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।