कर्नाटक के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना ने एक मामले में विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पिछले महीने बेंगलुरु की विशेष न्यायालय ने चार यौन शोषण और बलात्कार मामलों में से एक मामले में उन्हें दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा के साथ ₹11.50 लाख का जुर्माना लगाया था। अदालत ने पाया था कि इस राशि में से ₹11.25 लाख पीड़िता को दिए जाएँ।
अभियोजन दल की दलीलें व साक्ष्यों का महत्व
विशेष अदालत ने रेवन्ना की दोषसिद्धि के लिए कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्यों पर भरोसा किया था- वीडियो फुटेज, डीएनए विश्लेषण और पीड़िता के कपड़ों पर पाए गए जैविक निशान आदि।
रेवन्ना की अपील में यह तर्क सामने आया है कि शिकायतकर्ता की गवाही पुलिस शिकायत से मेल नहीं खाती, साक्ष्यों की विश्वसनीयता संदिग्ध है और समयावधि में देरी का प्रश्न उठता है।
उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा है कि गद्दे पर पाए गए दाग क्रियाकलाप के समय से पहले से मौजूद थे।
रेवन्ना पर कुल चार मामले दर्ज हैं, और वर्तमान में अन्य मामलों की सुनवाई भी जारी है। उनके द्वारा दायर एक याचिका, जिसमें उन्होंने न्यायाधीश बदलने की मांग की थी, पहले ही खारिज की जा चुकी है।
प्रज्वल रेवन्ना, जो पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के पोते हैं, इस मामले की संवेदनशीलता के कारण सुर्खियों में हैं। इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया, साक्ष्य-स्वीकृति और अभियोजन पक्ष की मजबूती जैसे प्रश्न व्यापक चर्चाओं का विषय बने हुए हैं।

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