हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के लिए भटक रहे पिता
हत्याकांड पर 18 दिनों से पोस्टमार्टम रिपोर्ट की राह ताक रही पुलिस
गंगा असनोड़ा
एक जुलाई को नए कानूनों के लागू होने पर सरकार का दावा था कि अब न्याय मिलने में देर नहीं लगेगी, लेकिन श्रीनगर पुलिस द्वारा मौत के एक मामले में की गई लेटलतीफी मृतका के पिता को दर-दर भटकने पर मजबूर कर रही है। रीता हत्याकांड पर आखिर पुलिस पर्दा क्यों डाल रही है?
महिला आयोग ने भी मामले पर शीघ्र जांच के लिए पुलिस अधीक्षक पौड़ी से बात की, लेकिन पुलिस 18 दिन बाद भी जांच के नाम पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का मुंह ताक रही है। ट्रेफिक पुलिस हेड कांस्टेबल पद से सेवानिवृत्त हुए मृतका रीता के पिता शिवलाल ने श्रीनगर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस पहले दिन से इस मामले को दबाने की कोशिशों में लगी हुई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते 30 जून को श्रीनगर गढ़वाल के नागेश्वर मुहल्ला में 34 वर्षीय रीता देवी पुत्री शिवलाल द्वारा आत्महत्या किए जाने की शिकायत उसके पति राजेश कुमार द्वारा श्रीनगर पुलिस से की गई। इस दौरान राजेश कुमार, जो कि लोक निर्माण विभाग में लेखाकार के पद पर तैनात है के तीनों बच्चे भी कमरे में मौजूद थे।
एसएचओ होशियार सिंह पंखोली ने बताया कि पुलिस जब कमरे में पहुंची, तो मृतका फंदे से लटकी हुई नहीं थी। उन्होंने माना कि यह संदिग्ध मौत है, आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक कार्रवाही आगे नहीं बढ़ाई जा सकती।
छुट्टी पर हैं प्रोफेसर साहब
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में भले ही पीजी कोर्स शुरू हो गया हो। पीजी की तीनों सीटें फुल हों, लेकिन यहां सिर्फ एक फैकल्टी उपलब्ध है। रीता देवी की जांच इस एक फैकल्टी पर आए काम के अतिरिक्त बोझ के चलते अब सोमवार तक लटकी ही रहेगी, क्योंकि पीएम रिपोर्ट पर प्रो.निरंजन के दस्तखत नहीं हैं और वे सोमवार तक छुट्टी पर हैं।
पिता ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
एक ओर 18 दिनों तक भी रीता हत्याकांड मामले में पुलिस जांच को आगे नहीं बढ़ा पाई है। यहां तक कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट को तक कब्जे में नहीं ले सकी है। दूसरी ओर, श्रीनगर पुलिस की कार्यशैली से खिन्न मृतका रीता देवी के पिता ने पुलिस महानिरीक्षक को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।
मृतका के पिता शिवलाल ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि उनकी बेटी रीता की मौत की खबर पुलिस ने या उनके दामाद ने उनको नहीं दी। एक जुलाई को एक किराएदार ने उन्हें फोन से सूचित कर बताया कि उनकी बेटी की मौत हो चुकी है।
श्रीनगर पुलिस पर तहरीर लेने में आनाकानी करने, बदसलूकी करने तथा दो-तीन तहरीर फड़वाने के आरोप भी उन्होंने लगाए हैं। कहा है कि 30 जून की रात हुई घटना पर तीन जुलाई को बेटी का अंतिम संस्कार करने के बाद घटना की एफआईआर लिखवाने श्रीनगर पहुंचे पिता को पुलिस ने खूब खरी-खोटी सुनाई और तहरीर बदलने का दबाव भी बनाया। उन्होंने आरोपी राजेश कुमार से घटना के चश्मदीद दो बच्चों तथा अपने परिवार को खतरा बताया है। उन्होंने यह भी मांग की है कि उनके दोनों बच्चों की गवाही न्यायालय के समक्ष शीघ्रातिशीघ्र हो, ताकि उनकी बेटी को न्याय मिल सके।
ऐसे में कैसे दर्ज होंगे ऑनलाइन मुकदमे
केंद्र सरकार ने पूरे देश में कानून बदलने के साथ ही यह जोर-शोर से प्रचारित किया कि अब ऑनलाइन मुकदमे दर्ज होंगे, न्याय सस्ता होगा और शीघ्र मिलेगा, लेकिन श्रीनगर में 30 जून को हुए रीता हत्याकांड ने जो बानगी पेश की है, वह ऑनलाइन मुकदमे कैसे दर्ज होंगे, इसे स्पष्ट कर गया है। बीएनएस, बीएनएसएस तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के तहत पुलिस को मिले विशेषाधिकार क्या किसी पीड़ित या पीड़िता को न्याय दिला पाएंगे, इस पर भी उक्त हत्याकांड ने सवाल पैदा किए हैं।